हमसफ़र | Laghu Katha Humsafar
अक्सर हम यही सोचते रहते है कि यार हमसफ़र ऐसा होना चाहिए, वैसा होना चाहिए।लेकिन कभी ये नहीं सोचते कि जो हमारे लिए हम जैसा हो उसके लिए हम भी वैसे हो पाएंगे क्या? नहीं ना?
तो फिर उम्मीद बस एक से ही क्यूं?हम खुद को भी तो उसके हिसाब से ढालने का प्रयास कर सकते ना। मेरे हिसाब से हमसफ़र ऐसा होना चाहिए जो एक दूजे की भावनाओं का मान रखे, गर कभी किन्हीं हालातों में एक दूजे के आगे झुकना पड़े,तो उसे हीन ना समझे।
एक दूसरी की चुप्पी समझे और हंसी के पीछे का दर्द भी। रास्ते में चलते अगर डगमगा जाए तो बीच राह में हाथ छोड़कर ना जाए।जो कभी असफलता भी हाथ लगे तो निराशाजनक स्तिथि में भी उसे सहज महसूस कराने का प्रयास करे। अकेले में उसे समझे, बातें बात करने से ही सुलझती है।
जरूरी तो नहीं कि इन सबके लिए जो हमारा साथी हो वो कोई जीवनसाथी ही हो। नहीं बिलकुल नहीं एक सच्चा दोस्त भी एक अच्छा हमसफर साबित हो सकता है।
हमसफर का मतलब जरूरी नहीं वो इंसान हो जो हमारे साथ किसी रिश्ते में बंधकर आया हो,बल्कि अगर कोई हमारा सच्चा दोस्त है,जो निस्वार्थ भाव से हमारे हर मोड़ पर हमारे साथ हो तो वो भी किसी हमसफ़र से कम नहीं।।