
लहर
( Lahar )
भक्ति भाव भर मन उमंग,
उठती है इक दिव्य तरंग।
मन प्रकाशित होता ऐसे,
झूमता ज्यों मस्त मलंग।
भाव उमंग जब लहर उठे,
झड़ी शब्दों की फुलझड़ी।
झुका गगन धरती पर यूॅ॑,
क्षितिज में खनकी हो हॅंसी।
लहराती हुई नदियाॅ॑ चली,
मधुर मिलन को बेकली।
सागर लहरें हिलोरे खाएं,
लगे नदियाॅ॑ मासूम लली।
कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )
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