Maa Durge Kalratri

मां दुर्गे कालरात्रि | Maa Durge Kalratri

मां दुर्गे कालरात्रि

( Maa Durge Kalratri )

 

रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, उरस्थ मृदुल मंगल धार

मां दुर्गे कालरात्रि आभा,
अद्भुत अनुपम मनोहारी ।
सघन तिमिर सम वर्णा दर्शन,
साधक जन अति शुभकारी ।
संपूर्ण ब्रह्मांड सिद्धि वृष्टि,
सर्वत्र खुशियां आनंद बहार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, उरस्थ मृदुल मंगल धार ।।

महायोगीश्वरी महायोगिनी शुभंकरी,
मां कालरात्रि अन्य नाम ।
रौद्र छवि अप्रतिम झलक,
दानवी शक्ति काम तमाम ।
देवलोक अग्र पद काज,
शुम्भ निशुम्भ रक्त बीज संहार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, उरस्थ मृदुल मंगल धार ।।

चार भुजा त्रिनेत्र विशाल ,
कर खड़ग लौह अस्त्र धारी ।
गर्दभारुढा अभय वर मुद्रा,
सदैव भक्तजन हितकारी ।
शत्रु विजय दृढ़ संकल्प पथ,
मां अलौकिक शक्ति अपार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, उरस्थ मृदुल मंगल धार ।।

नील वर्ण प्रिया माता,
भय रोग संताप हरण ।
भूत प्रेत अकाल मृत्यु,
सहज समाधान श्री चरण ।
महासप्तमी परम साधना,
सुख समृद्धि स्वप्न साकार ।
रूप विकराल रुद्र श्रृंगार, उरस्थ मृदुल मंगल धार ।।

 

महेन्द्र कुमार

नवलगढ़ (राजस्थान)

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