माँ की ममता
( Maa ki mamta )
आंचल में छुपाकर के अपने
ममता के स्नेह से नहलाती है
करती मां दुलार बच्चों को
मोती प्यार भरे लुटाती है
सुकून सा मिल जाता है
आंचल की ठंडी छांव में
डांट फटकार लगती प्यारी
मां स्वर्ग बसा है तेरे पांव में
मीठी मीठी लोरी मनभावन
मन की पीड़ाएं हर लेती है
खुशियों की बरसात होती
मां हाथ सर पे रख देती है
छत्रछाया में महके फुलवारी
संस्कार दे बगिया महकाती है
मां से प्यारा दुनिया में कोई नहीं
मां जीवन जीना सिखलाती है
रचनाकार : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )