Samvidhan par kavita
Samvidhan par kavita

भारतीय संविधान

( Bhartiya samvidhan ) 

 

कोटि कोटि कंठो से निकली

एक यही स्वर धारा है

सबसे न्यारा सबसे प्यारा

सुसंविधान  हमारा  है,

 

शत् शत् नवल प्रणाम तुम्हें

एक तुम्हीं सहारा है

बहते दरिया में नावों का

सुंदर एक किनारा है ,

 

समता का अधिकार दिया यह

शिक्षा का उजियारा है

नारी को सम्मान दिलाकर

उज्ज्वल भविष्य सवारा है ,

 

न कोई राजा कोई प्रजा

लोकतंत्र अति प्यारा है

दुनिया में गुणगान तुम्हारा

नीति बड़ा ही न्यारा है,

 

जीव जन्तु पशु पक्षी का भी

जीवन तेरे द्वारा है

हर पन्नों के धाराओं से

मिट गया अंधियारा है ,

 

देश का गौरव गरिमा है तू

काशी चर्च गुरुद्वारा है

संविधान का पन्ना पन्ना

तेरा और हमारा है,

 

भीम राव की चली लेखनी

दूर हुआ अंधियारा है

सबसे न्यारा सबसे प्यारा

सुसंविधान  हमारा  है,

 

 

( अम्बेडकरनगर )

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