
माँ
( Maa par ek kavita )
माँ तेरी ममता की छाया,
पली बढ़ी और युवा हुई,
निखर कर बनी सुहागन,
माँ बनकर,पाया तेरी काया।।
अब जानी माँ क्या होती?
सुख-दुःख की छाया होती ।
माँ के बिना जहाँ अधूरा,
माँ है तो सारा जहाँ हमारा ।।
माँ हीं शक्ति, माँ हीं पूजा,
माँ है देवी कि महादेवी,
माँ के चरणो में शीश झुकाऊँ,
सारा जहाँ का स्वर्ग मैं पाऊँ।।
लेखिका :- प्रतिभा पांडे