मॉं शारदे, विद्या, विवेक मान दो
मॉं शारदे, विद्या, विवेक मान दो
माँ शारदे, विद्या विवेक मान दो,
मुझे सुर साम्राज्ञी जैसी तान दो।
मेरा वाचन दिव्यमयी हितकारी हो,
माँ शारदे, ब्रह्माणी ये वरदान दो।टेक।
मेरे सिर-माथे वरद हस्त रख दो,
सुमन शब्द-अक्षर ज्ञान-मख दो।
प्रतिभा स्वयं,पर अल्पज्ञ मूरख हूँ
माँ-कल्याणकारी शुभम कर दो ।
पूजा अर्चन करूॅ तेरी आराधना,
नारियाँ हों सशक्त,स्वाभिमान दो।
माँ शारदे विद्या विवेक मान दो,
मुझे सुर साम्राज्ञी जैसी तान दो ।1।
मैं बेटी हूॅ, भारत का मान बढाऊँ,
वागीश्वरी चरण में, बलिहार जाऊँ।
संवेदित हो मनन करूँ सबको,
विरक्ति खत्म कर नेह उदय पाऊँ।
ऊँच-नीच,भेद भाव मिट जाए,
माँ ह्दय अंधकार को भान दो,
माँ शारदे विद्या विवेक मान दो,
मुझे सुर साम्राज्ञी जैसी तान दो ।2।
माँ शारदे, विद्या विवेक मान दो,
मुझे सुर साम्राज्ञी जैसी तान दो।
मेरा वाचन दिव्यमयी हितकारी हो,
माँ शारदे, ब्रह्माणी ये वरदान दो।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई
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