मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

 

 

मांग में सिंदूर भर दूँ मैं सनम

आ तुझे दुल्हन सी कर दूँ मैं सनम

 

भूल जायेगी दर्द ग़म दिल के सभी

प्यार से इतनी  तर कर दूँ मैं सनम

 

चुनकर सब कांटो भरे ग़म तेरे ही

फूलों से दामन ये भर दूँ मैं सनम

 

प्यार के दूँ  मरहम मैं इतनें तुझे

दूर तेरे  नश्तर कर दूँ मैं सनम

 

हो नहीं अहसास ग़म का ही तुझे

की ख़ुशी इतनी  पर दूँ मैं सनम

 

तू अगर जो ये कहूँ बातें दिल की

इजहारे उल्फ़त सब कर दूँ मैं सनम

 

है यही ख़्वाहिश आज़म की सदा

प्यार का हर पल मंजर दूँ मैं सनम

 

 

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शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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नफ़रत के ही देखें मंजर बहुत है!

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