
महामाया कालिका
( Mahamaya kalika )
दुःख-कष्टों को माॅं काली तुरन्त दूर कर देती,
नौकरी व्यापार और धन समस्या मिटा देती।
सभी से है वह शक्तिशाली और प्रभावशाली,
किसी भी काम का वह शीघ्र परिणाम देती।।
जगदम्बे की महामाया भी कहते है जिसको,
लाल वस्त्र व लाल आसन भाते है जिसको।
सामान्य पूजन तंत्र पूजन से पूजते है इनको,
चुनरी नारियल हार पुष्प चढ़ाते है जिसको।।
वह चारों तरफ़ा मचाती हुई आती हाहाकार,
दौड़ी हुई आती चाहें हो भयानक अन्धकार।
करती धर्म की रक्षा पापी दैत्यों का सर्वनाश,
देवगण भी करतें है आपकी जय-जयकार।।
भैरवी चामुंडा चण्डी जगदम्बिका महाकाली,
भूत पिशाच नाशनि क्रान्ति काली कंकाली।
कालरात्रि श्मशान की देवी एवं खप्परवाली,
कामाख्या कालिका कादम्बिनी भद्रकाली।।
मैया दैत्यों के सर्वनाश हेतु आप धरा पधारी,
काल बनकर मण्डराई चण्ड मुण्ड को मारी।
उस रक्तबीज का शीश आपने कलम किया,
तत्पश्चात शुंभ-निशुंभ पर पड़ी आप भारी।।
जब शान्त न हुआ माता का रूद्र वाला रूप,
तो भोलेनाथ को माॅं के रस्ते में लेटना पड़ा।
जब पाॅंव लगा भोलेनाथ के मैया काली का,
तब जाकर प्रचंडता मैय्या की यें कम पड़ा।।
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