Mahatva
Mahatva

महत्व

( Mahatva ) 

 

गलतियाँरोज नहीं रोज नहीं होती
दोबारा की मानसिकता और
बार-बार की मूर्खता कहलाती है

जो बदल देती है जीवन का मानचित्र
और आदमी उसी में स्वयं को ही
तलाशता रह जाता है पूरी उम्र भर

स्वाभाविक का और सहजता
व्यक्ति के सर्वोच्च शिखर हैं
पूर्णता किसी में नहीं
किंतु पूर्ण होने का प्रयास अनिवार्य है

किसी अपने की कमी से
पलायन कर जाना कायरता है
सुधार की प्रवृत्ति को अमर बनाए रखें
अपने लिए भी अपनों के लिए भी

आप एक से नहीं दो से हैं
इसलिए भिन्नता तो होगी ही
आपसी समझौते और तालमेल हि
जीवन को दिशा भी देते हैं
और प्रगति के द्वारा भी खोलते हैं

श्रेष्ठता एक की हि धरोहर नहीं होती
दिमाग में विचार है तो हृदय में भावनाएं
दोनों का अपना-अपना महत्व है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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लेखक | Lekhak

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