डॉक्टरेट महताब ए आज़ाद की कविताएं | Dr. Mahtab Poetry
महान होती हैं बेटियां
बेटों का संसार होती हैं बेटियां।
कुदरत का उपहार होती हैं बेटियां।।
जिससे घर आंगन होते हैं रोशन।
ऐसा एक प्यार होती हैं बेटियां।।
बेटी क्या होती है ज़माने को दिखाया है।
बेटी ने भी ऊंचा उठ कर दिखाया है।।
बेटी बेटों से कम नहीं होती हैं।
बेटी ने भी देश का मान बढ़ाया है।।
खुशियों का एक जहान होती हैं बेटियां।
सच में घर की शान होती हैं बेटियां।।
श्रेष्ठा सिंह, अंजुम आरा, सुजाता सिंह।
बेटों से भी महान होती हैं बेटियां।।
बाबा डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
मेरे बाबा डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर
तेरा जन्मदिन
देशवासी धूम धाम से
मनाते हैं
अपना फर्ज निभाते हैं
आकर तेरी समाधि पर
बड़े बड़े नेता
फूल चढ़ाते हैं
तेरी राह पे चलने की
दिल से कसमें खाते है
पर क्या ऐसा कर पाते हैं
शर्म से मर जाते हैं
फिर भी भारत वासी
कहलाते हैं
तू ही बता ऐ बाबा
तेरी एनक से ये
नज़रें कयों चुरायें है
तिरंगे के लिए कुर्बान जाऊंगा मैं
ऐ वतन जब तू आवाज देगा।
तेरी खातिर चला आऊंगा। मैं।।
जान देकर दुश्मन से बचाऊंगा तुझको।।
तिरंगे के लिए कुर्बान जाऊंगा मैं।।
हर मजहब के लोगों ने दिया था बलिदान।
तब जाकर आजाद हुआ था हिंदुस्तान।।
वतन के लिए जिन्होंने खुद को किया कुर्बान।
वह वीर भगत सिंह और टीपू सुल्तान।।
नहीं यह देश नफरत फैलाने वालों का।
यह देश है प्यार के गीत गाने वालों का।।
जिससे पहचाना जाता है आजाद हिंदुस्तान।
वह है इस देश के सिख, हिंदू, मुसलमान।।
पेट की आग बुझे रोटी मिले
आज के इस महंगाई के दौर में।
हर एक गरीब की जिंदगी बेहाल है ।।
दर-दर भटकता है रोजगार की खातिर।
गर काम न मिले जीना मुहाल है।।
सोचता है किस तरह चूल्हा जले।
पेट की आग बुझे रोटी मिले।।
क्या करे जब कोई रोजगार न हो।
नय्या जीवन की फिर कैसे चले।।
गरीब की बेटी के लिए रिश्ता कहां।
जो उसे ब्याह ले जाए वो फरिश्ता कहां।।
उड़ जाएगी अमीर की बेटी की डोली।
अमीरों को फिक्र शादी का रहता कहां।।
नेता से वादों का साथ पुराना है।
वादा तो कुर्सी पाने का बहाना है।।
“आज़ाद” अगर देश को बचाना है।
नेताओं को ईमानदारी का पाठ पढ़ाना है।।
घर,आंगन को पेड़ों से सजाए
धरती को खूबसूरत बनाएं।
प्रदूषण से भी। है बचाएं।।
कितने प्यारे पेड़ यह लगते।
खुशहाली बन कर जो हर सू लहराएं।।
खुद अपने हाथों से पेड़ कटवाते हैं।
और भूल हम ही यह जाते हैं।।
इनसे हम स्वच्छ पर्यावरण पाते हैं।
और जीवन सुरक्षित रख पाते हैं।।
धरती पर अगर पेड़ न होंगे।
तो धरती वीरान सी हो जाएगी।।
न खाने को फल मिलेंगे जब।
याद पेड़ों की हमको रुलाएगीं।।
पेड़ न होंगे सब का नुकसान होगा।
प्रदूषण का भी हर सू राज होगा।।
दूषित हमें हवाएं सताएगीं।
स्वच्छ पर्यावरण न मिल पाएगां।।
सुंदर हमारा जो जीवन बनाएं।
तपती धूप से भी जो हमें बचाएं।।
आजाद स्त्री पुरुष मिलकर सारे।
घर आंगन को पेड़ों से हम सजाएं।।
तिरंगा
उन वीर जवानों को मेरा सलाम।
जिन्होंने तिरंगे की खातिर मौत को गले लगाया।।
तिरंगे की आन को मिटने न दिया।
खाकर सीने पर गोलियां तिरंगा झुकने न दिया।।
है उन वीर जवानों को मेरा सलाम…
तिरंगा अपने देश की शान है।
तिरंगा हिंदुस्तान की पहचान है।।
तिरंगा सबका स्वाभिमान है।
तिरंगे से पूरा हिंदुस्तान है।।
है उन वीर जवानों को मेरा सलाम….
जब हमको उन वीरों की याद सताती है।
आता है जोश में अपना लहू अपनी हिम्मत बढ़ जाती है।।
वीरों की कुर्बानियां हम भुला न पाएंगे।
जब देखेंगे तिरंगा लहराते हुए हम वो याद आएंगे।।
है वीर जवानों को मेरा सलाम……
सावन की है फुहार होली
रंगों की बहार है होली।
सावन की है फुहार होली।।
जब आती है यह प्यारी होली।
मिलते हैं बिछड़े हम जोली।।
भीगा है हर दामन चोली।
ऐसे हर एक ने खेली होली।।
गोरी भी कैसे मुस्काये।
सजना जब गुलाब लगाये।।
झूम रहा है हर एक इंसान।
हर मजदूर,जवान ,किसान।।
दूर यहां से अब नफरत हो।
एक दूजे में एक चाहत हो।।
कहती है आजाद यह होली।
हम सब बोले प्यार की बोली।।
प्रदूषण
प्रदूषण तो अब आम बात हो गयी।
यह तो जीवन के लिए ज़हर हो गयी।।
घुटता है दम तो टूटती कहीं सांस है।
जिंदगी तो अब जीनी दूभर हो गयी।।
अब तो धरती भी हरी भरी नहीं रही।
पेड़ उखाड़ना जब से इंसा का चलन हो गया।।
आज का इंसा ही प्रदूषण का जन्म दाता है।
वह खुद ही पर्यावरण का दुश्मन हो गया।।
धरती पर हरियाली की चादर बिछाकर।
इंसा को प्रदूषण से बचना होगा।।
आज़ाद जीवन अगर सुरक्षित रखना है तो।
वनों का विनाश होने से बचाना होगा।।
मेरी कायनात
उसका वर्णन।
जैसे चन्दन।।
उसका रुप।
सुनहरी धूप।।
उसका आंचल।
जैसे बादल।।
उसका हंसना।
फूल खिलना।।
झील सी आंखें।
संदल बाहें।।
उसका शवाब।
खिलाता गुलाब।।
उसका बोलना।
शहद घोलना।।
उसका चलना।
दरिया बहना।।
उसकी जात।
मेरी कायनात।।
खून का रंग एक है
अमन का पैगाम सुनाओ।
दुनिया से नफरत को मिटाओ।।
आग जले न अब नफरत की।
प्यार के हर सू दीप जलाओ।।
सब के खून का रंग एक है।
बात सभी को यह समझाओ।।
नाम पे मज़हब के जो लड़ाएं।
उनसे कभी न हाथ मिलाओ।।
वतन से दूर हो आंतक आजाद।
सब ये दुआ को हाथ उठाओ।।
वैलेंटाइन डे
हर सू खुशियां छाएं।
सब प्यार के नगमें गाएं।।
मस्ती में सारे खोकर।
वैलेंटाइन डे मनाएं।।
तनहाई भी दूर हो जाएं।
तू मेरे करीब आ जाएं।।
जब नजर चुराकर जाए।
बेचैनी मेरी बढ़ जाए।।
न आंख तुम्हारी नम हो।
न दिल में कोई भी हो ग़म।।
मेरे हाथ में हाथ तुम्हारा।
हो प्यार का पल-पल मौसम।।
न खौफ न कोई डर हो।
खुशियों से भरा हर घर हो।।
जब संग चलो तुम मेरे।
फिर अपना सुहाना सफर हो।।
यह प्यार की एक निशानी।
एक इसमें छुपी है कहानी।।
वैलेंटाइन डे दिन आया।
मिलने आजा दिल जानी।।
प्यार होती है नारियां
खूबसूरत संसार होती है नारियां।
कुदरत का शाहकार होती है नारियां।।
जगत जननी संसार होती है नारियां।
एक सुंदर उपहार होती है नारियां।।
घर में जिनके दम से होता उजियारा।
प्रकाश का वह अनाकार होती है नारियां।।
उनका संग उदासों को खुशहाल बनाएं।
प्रसन्नता का द्वार होती है नारियां।।
सुख दुःख में भी न रिश्तों को भूले।
एैसी जिम्मेदार होती है नारियां।।
ग़म सहकर भी ये बांटें है प्यार।
ऐसा एक किरदार होती है नारियां।।
इनसे ही आज़ाद मिलता है सुकूं।
सबके लिए प्यार होती है नारियां।।
बेटी
सुंदर सा संसार है बेटी
बेटो सा ही प्यार है बेटी
बेटी को जन्म लेने दो
उसको संसार में आने दो।१।
जीने का उसको भी हक है
न कोख में बेटी को मारो
भ्रूण हत्या महापाप है
यह समाज पर अभी शाप है।२।
बेटी तो सम्मान दिलाती है
कुल का नाम जगमगाती है
आज़ाद सोच को करें महान है
बेटे बेटियां एक समान है।३।
कैसे वैलेंटाइन डे मनाए
इस दिल में छुपे कितने ग़म है कैसे दिखाएं।
हम किस तरह यार वैलेंटाइन डे मनाएं।।
लूट, हत्या और बलात्कार।
हर सू यही चीख पुकार।।
गम ज़दा ये हवाएं हैं।
कोई किसी का नहीं है ग़मखार।।
बिछड़े जिनके जिनसे वह अब तक न मिल पाएं।
हम किस तरह यार वैलेंटाइन डे मनाएं।।
फूल भी हॅसे खिल खिलाएं।
मगर चेहरे न मुस्कुराएं।।
प्रयागराज में जो हुआ हादसा।
जिससे हर आंख में आंसू आएं।।
जब रिश्ते भी शर्मसार हो जाएं।
हम किस तरह यार वैलेंटाइन डे मनाएं।।
कुछ सिक्कों की खातिर।
भाई ने भाई का खून कर दिया।।
हवस मिटाने की खातिर उसने।
रिश्तों को शर्मसार कर दिया।।
जब नेताओं ने झूठे ख्वाब दिखाएं।
हम किस तरह यार वैलेंटाइन डे मनाएं।।
परचम ए हिंद जम के लहराएं
मज़हब के नाम पर न कभी अब फंसाद हो।
मेरे वतन में हर कोई अब शाद बाद हो।।
इंसानियत ही चार सू फले फूले यहां।
जालिम खुदा करें न कभी बामुराद हो।।
इस तिरंगे की शान की खातिर।
और भारत की आन की खातिर।।
मेरे दिल की यही तमन्ना है।
जान जाए हिंदुस्तान की खातिर।।
सारे भारत में अमन हो कायम।
हिंदू- मुस्लिम में प्यार बढ़ जाए।।
सारी दुनिया में शान से “आजाद”।
परचम- ए -हिंद जम के लहराएं।।
मां
मां सा प्यारा और न्यारा।
दूजा कोई नहीं सहारा।।
धूप छांव की सुध बुध लेती।
सुख देकर वो हर दुख लेती।।
रोने पर मेरे गीत सुनाती।
मुझको अमृत पान कराती।।
मुझको ज़रा भी दुःख हो जाता।
गायब उसका सुख हो जाता।।
कितनी बड़ी मां की अज़मत है।
मां के पांव तले जन्नत है।।
मां को कभी नाशाद न करना।
ऐसा कभी”आज़ाद*न करना।।
कश्मीर भारत का है
सबसे सुंदर सबसे न्यारी,
भारत की यह धरती प्यारी।
इस पर आंच न आने देगें,
चाहे जायें जान हमारी।।
झुक जायेंगे यह सर हमारा,
हो नहीं सकता।
कश्मीर भारत का है, जुदा
यह हो नहीं सकता।।
नाम निशांन मिटा देगें,हम,
कहते सीना तान।
हरकतों से बाज आजा,
बेटा पाकिस्तान।।
हमने ठानी देश प्रेम के,
दीप जलातें जायेगें।
हम कविता से भी नफ़रत की,
आग बुझातें जायेगें।।
वतन फरोशों से लड़नें की,
हमने है सौगंध उठाई।
उसी आग में झोंकेंगे न,जो,
आकर तुमने आग लगाई।।
तिरंगा हिमालय पर सदा मुस्कुराएं
तेरे जर्रे जर्रे की कसम ए प्यारे वतन।
अपने दम पर खुशहाल रखेंगे यह चमन।
भारत देश तेरी शान कम न होने देंगे।
कितना भी ताकतवर हो चाहे दुश्मन।।
इस वतन पर कभी आंच न आएं।
तिरंगा हिमालय पर सदा मुस्कुराएं।।
करे कोशिशें हम सदा जिंदगी में।
बीज़ नफरत भू पर कहीं उग न पाएं।।
हिंदू मुस्लिम प्यार की राह अपनाएं।
देश को नफरत की आग से बचाएं।।
सब मिलकर ऐसा कुछ करें आजाद।
अपना भारत महान से भी महान कहलाएं।।
बसंत पंचमी
बसंत पंचमी का त्यौहार।
संग लाता खुशियां हजार।।
मौसम होता इसमें सुहाना।
हर तरफ से बरसता प्यार।।
पीली पीली सरसों लहराएं।
तितली पुलद पुदद मुस्कुराएं।।
पतझड़ हुआ देखो गायब।
सूखे पेड़ पे हरे पत्ते आएं।।
इधर उधर जहां भी देखो।
हरियाली ही नजर आएं।।
खूबसूरत लगते सब नजारें।
जिन्हें देख आनंद है आएं।।
लाल बहादुर शास्त्री
छोटा कद उच्च विचारों वाले हमारे।
लाल बहादुर शास्त्री थे महान।।
मजबूत इरादे वाले सदा रहे वो।
हर कदम पर बढ़ाया देश का मान।।
जय जवान जय किसान का दिया नारा।
गरीब मजलूम का बने वे सदा सहारा।।
देश हित में लिए बड़े फैसले सदा।
जिन पर गर्व देश करता है हमारा।।
हिला दिया था जिसने पाकिस्तान।
सच्चा भारत का वो सपूत महान।।
जिन्होंने रखा था भारत का मान।
हमारे शास्त्री जी थे हमारी शान।।
महात्मा गांधी जयंती
सीधे साधे और सच्चे थे।
बापू प्यारे कितने अच्छे थे।।
कोमल मन वाले बापू थे।
बच्चों में बन जाते बच्चे थे।।
कभी न बदले अपने इरादे थे।
कभी न अंग्रेजो के सामने झुकेथे।।
मुश्किल सहन की सफर रखा जारी।
बापू जी थे अहिंसा के पुजारी।।
नाम था मोहन दास करमचंद गांधी।
सच में बापू थे आज़ादी की आंधी।।
वह भारत के सपूत महान थे।
जिनकी नज़र में बराबर सब इंसान थे।।
सिख, हिन्दू हो चाहे मुस्लमान।
बापू सबका करते थे सम्मान।।
“आज़ाद” भारत हुआ अपना।
बापू का साकार हुआ था सपना।।

डॉक्टरेट महताब ए आज़ाद
उत्तर प्रदेश