प्रताप-गाथा

( Pratap Gatha )

 

महावीर राणा सांगा , राणा कुंभा परिवार में !
राणा उदय और जयवंता, जी के ममतागार में !!

पंद्रह सौ चालीस, नौ मई, कुंभलगढ़ मेवाड़ में
महावीर राणा प्रताप ने जन्म लिया संसार में !!

राजपूत संस्कृति आराधक,नाहर जैसा नर वहथा
जीवन प्राण लुटाने तत्पर, मातृभूमि के प्यार में !!

पर्वतसी कदकाठी वाला,प्रबल साहसी मन वहथा
मातृभूमिऔरआजादी ही,थी उसमन केआधार में !!

मुगल म्लेच्छ भारत में हिन्दू,राज्य मिटाते जाते थे
नहीं जीतता था अकबर से, कोई भी प्रतिकार में !!

स्वाभिमान तज दास बन रहे,कायर हिन्दू रजवाड़े
बहिन बेटियाॅं सौंप रहे थे, अकबर को उपहार में !!

किंतु नहीं मेवाड़ सौंपने , में प्रताप ने सहमति दी
बड़ी फौज से युद्ध सदा ही ,स्वीकारा स्वीकार में !!

लड़ते और हारते सारा, जब धनबल निःशेष हुआ
नहीं घास की रोटी भी थी, बेटी को आहार में !!

साहस था मिटने आतुर तब,भामाशाह चले आये
लेआये वे निज जीवन का, हर संचित उपचार में !!

बुझती ज्वालाऍं जाग्रत हो भड़कीऔर संघर्ष हुआ
हल्दी घाटी मुगल पराभव, गाथा जग विस्तार में !!

समरजीतकरअकबरहारा,ना प्रताप को जीतसका
अपना चाहा कुछभी उसने,ना पाया अधिकार में !!

आगे युद्ध हुये पर अकबर,ना प्रताप को हरा सका
वह प्रताप से आजीवन ना,जीत सका प्रतिकार में !!

मातृभूमि से प्यार,समर्पण,त्याग,शौर्य बलिदानों की
यह प्रताप गाथा युग युग तक, रहे अमर संसार में !!

Manohar Chube

कवि : मनोहर चौबे “आकाश”

19 / A पावन भूमि ,
शक्ति नगर , जबलपुर .
482 001

( मध्य प्रदेश )

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