Main Apno se Hara Hoon

मैं अपनों से हारा हूं | Main Apno se Hara Hoon

 मैं अपनों से हारा हूं

( Main apno se hara hoon )

 

हिम्मत हौसलों जज्बों की, बहती प्रेम धारा हूं।
औरों से तो लड़ भी लेता, मैं अपनों से हारा हूं।
मैं अपनों से हारा हूं

पग पग पे बाधाओ से, लोहा लेना सीख लिया।
तूफानों से टक्कर लेना, मुस्कुराना सीख लिया।
बारूदों के ढेर पे चलता, बना फौलादी सारा हूं।
औरों से तो लड़ भी लेता, मैं अपनों से हारा हूं।
मैं अपनों से हारा हूं

मैंने फूल खिलाना चाहा, प्रेम सुधा बरसाना चाहा।
लबों पे मुस्कानों के, खुशियों के दीप जलाना चाहा।
मैं भावों का गुलदस्ता हूं, घट घट का उजियारा हूं।
औरों से तो लड़ भी लेता, मैं अपनों से हारा हूं।
मैं अपनों से हारा हूं

कैसी यहां बयार चली है, स्वार्थ की आंधी आई है।
मतलबी संसार हो गया, दुश्मन अब भाई-भाई है।
गीत गजल भावों की गंगा, कविता का पिटारा हूं।
औरों से तो लड़ भी लेता, मैं अपनों से हारा हूं।
मैं अपनों से हारा हूं

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

जो जग का करतार प्रभु | Jo Jag ka Kartar Prabhu

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *