![Ganga ki Pawan Dharti](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2024/05/Ganga-ki-Pawan-Dharti-696x464.jpg)
मैं गंगा हूं
( Main Ganga Hoon )
हिमालय की गोद में बस्ती हूं
काटकर पहाड़ों को अपने साहस
से सरल भाव में बहती हूं
ऐसी मै गंगा हूं।
लेकर सबको अपने साथ चलती हूं
चाहे कंकड़ पत्थर रेत या पेड़
बंजर भूमि उपजाऊ बना दुं
ऐसी मै गंगा हूं।
प्यासे की प्यास बुझाती
बिछड़ों को मैं ही मिलाती
कल कल झर झर बहती
ऐसी मैं गंगा हूं।
मेरे किनारे कई देवालय
पापियों के पाप में धोती
कहीं गहरी कहीं उथली होती
ऐसी में गंगा हूं।
सूर ताल लगा संगीत सी बजती
मैं तो अपने मन से अविरल सी बहती
मैं पाप नाशिनी पतित पावन गंगा
ऐसी मैं गंगा हूं।
हिमालय से निकली सागर में समाई
मैं कभी गंगा तो कभी भागीरथी कहलाई
शिव जटा से निकली जन-जन को निर्मल किया
ऐसी मैं गंगा हूं।
लता सेन
इंदौर ( मध्य प्रदेश )