![sheekh सीख लिया है](https://thesahitya.com/wp-content/uploads/2021/05/sheekh-696x435.jpg)
सीख लिया है
( Seekh liya hai )
जिसने जितने दुःख दिये हैं मुझे
आकर वे अपने अपने ले जाएं
अब कोई ठिकाना नहीं है मेरे पास
तुम्हारे दिए हुए दुःखों के लिए…
जो मेरे हिस्से आए हैं
वे रख लिए हैं अपने पास
उन्हीं को लगा कर सीने से
जीवन गुजार दूँगा हँसते हँसते…
अब सहना सीख लिया है मैंने
एकांकी जीवन को जीना
अब रहना सीख लिया है मैंने
झूठी दिलासाओं के बिना …..
अब नहीं चाहिए मुझे किसी से
झूठी तसल्ली, दुआ और दिलासा
अब इनका असर मुझ पर नहीं होने वाला
देख लिए है मैंने झूठी तसल्ली देने वाले…..
अब किसी को याद नहीं करता मैं
अब किसी की याद नहीं आती मुझे
इतना सीखा दिया है अपनों ने
कि जीना है अब बिना किसी सहारे के……..!