
उजाले मिट नहीं सकते
( Ujale mit nahin sakte )
हटा लो दीप द्वारे से, उजाले ये नही करते।
जला लो मन में दीपों को,उजाले मिट नही सकते।
जो जगमग मन का मन्दिर है,कन्हैया भी वही पे है,
अगर श्रद्धा भरा मन है, तो फिर वो जा नही सकते।
हटा लो दीप द्वारे से, उजाले ये नही करते।
जला लो मन में दीपों को, उजाले मिट नही सकते।
मेरी पहचान उससे है, वही है साँवरा मेरा।
कमर मे बाँसुरी बाँधे, मुकुँट है सिर पे कुछ टेढा।
भगत में भाव जैसा है, रूप उनका है कुछ वैसा
हृदय के मध्य दमकत है,भाष्कर उदित तम हारे।
हटा लो दीप द्वारे से, उजाले ये नही करते।
जला लो मन में दीपों को,उजाले मिट नही सकते।
कन्हैया प्रेम का प्यासा उसे, तुम भी रिझा लोगे।
नयन में प्रीत भर करके, उसे मन में बुला लोगे।
दिखावा तुम नही करना,अगर तुम भक्त हो उसके,
चले आएगे नंगे पाँव, जो उनको तुम बुला लोगे।
हटा लो दीप द्वारे से, उजाले ये नही करते।
जला लो मन में दीपों को,उजाले मिट नही सकते।
कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )
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