मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो | Main to Yahan Hoon
मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो
( Main to yahan hoon aur tum kahan ho )
मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो
मै दरिया हूं तुम बहती हवा हो
कविता का शहर मेरा रोशन सारा है
तुझ संग चांद सा दमकता सितारा है
मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो
मस्त हवाएं चलती तुम जहां हो
प्रेम सुधा सी बरसे छाई बदराई रे
दिल मेरा महका जहां तुम आई रे
मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो
धड़कनें कहती मर्ज की दवा हो
मेरी किस्मत की तुम भाग्य रेखा हो
काव्य की कल्पना ख्वाब अनोखा हो
मैं तो यहां हूं और तुम कहां हो
उमड़ती जलधार दिल से जवां हो
खुशियों की लहर जब से आई हो
आंगन महका मेरा खुशबू लाई हो
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )