Mata Vaishno Devi
Mata Vaishno Devi

माता वैष्णो देवी का धाम

( Mata Vaishno Devi ka dham ) 

 

त्रिकुटा की पहाड़ियों पर एक गुफ़ा में है ऐसा स्थान,
काली सरस्वती लक्ष्मी माता वहाॅं पर है विराजमान।
करीब ७०० वर्ष पहले बनवाया यें मंदिर आलीशान,
पं श्रीधर ऐसे भक्त हुये थें नहीं कोई जिनके समान।।

है विश्व प्रसिद्ध मन्दिर यह माता वैष्णोदेवी का धाम,
तिरुमला वैकंटेश्वर के बाद मे इसी मन्दिर का नाम।
कई तरह की कथाऍं है जिसका सब करतें गुणगान
ध्यान माॅं का जो भी करता बन जाता उनका काम।।

कटरा से ही शुरू हो जाती माॅं वैष्णो देवी की चढ़ाई,
३५००० से ४५००० के बीच है सीढ़ियों की गिनाई।
जो १३ कि मी से १४.५ किलोमीटर जाती है बताई,
यें मन्दिर स्थित है लगभग ५२०० फीट की ऊंचाई।‌।

दक्षिणी भारत में रत्नाकर के घर जन्मी मैय्या आप,
वायु रुप में बदलकर त्रिकुटा पर्वत पहुॅंच गई आप।
भैरवनाथ भी पीछे दौड़ा लेकिन हाथ ना आई आप,
तब सुरक्षा हेतु प्रकट हुऍं महाबली पवनपुत्र आप‌।।

बाण चलाकर पहाड़ पर निकाली आपने जलधारा,
महाशक्ति का पीछा करते भैरों पहुॅंचा माॅं के द्वारा।
लगा रहें थें जहां पवन पुत्र गुफ़ा के बाहर में पहरा,
अन्दर जानें से रोका भैरव को युद्ध हेतु ललकारा।।

हुआ भयंकर युद्ध वहां पर न हो रहा जिसका अंत,
यह देखकर वैष्णवी ने महाकाली रूप धरा तुरन्त।
एक ही वार में शीश किया भैरव का धड़ से अलग,
तब भैरव ने कहा माॅं मैं चाहता था मोक्ष एवं अंत।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

 

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