Mauke ka Waqt

मौके का वक्त | Mauke ka Waqt

मौके का वक्त

( Mauke ka waqt ) 

 

 

मिल जाता है मौका भी कभी-कभी

उन अपनों को आजमाने का

जो भरते हैं दंभ अपनेपन का

लगा देते हैं शर्त वक्त की

 

वक्त के प्रवाह से बचा भी नहीं कोई

वक्त ने डुबाया भी नहीं किसी को

वक्त देता है मौका सभी को कोई

 डूब जाता है कोई संभल जाता है

 

साथ की हामी भरने वालों पर ही

रहता नहीं अवलंबित कोई

छटपटाहट के प्रयास में

तिनका भी पार लगा ही देता है

 

अक्सर उनकी मजबूरी और व्यस्तता

तब और अधिक बढ़ जाती है

जब आपको उनकी जरूरत होती है

यही वक्त भी होता है उनके शर्त का

 

आए हुए समय को तो गुजरना ही है

इसी में आपको परखना भी है

लगानी है उम्मीद भी किससे कितनी

यह अभी ही आपको समझना भी है

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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