तभी तो मां कहलाती हैं
( Tabhi to maa kahlati hai )
खुद का निवाला छोड़,
अपने बच्चे की थाली सजाती है।
तभी तो मां कहलाती है
देख मुस्कान औलाद के चेहरे पर,
अपने सब गम भूल जाती है।
तभी तो मां कहलाती है
परवाह नहीं जमाने की,
सिर्फ अपने बच्चों की खैरियत चाहती है।
तभी तो मां कहलाती है
बच्चे को जन्म देकर,
खुद एक नया जन्म पाती है।
तभी तो मां कहलाती है
नहीं औकात मेरी कि तुझे शब्दों में लिख पाऊं,
तू तो खुद पूरा संसार लिख जाती है।
तभी तो जग जननी मां कहलाती है
रवीना
( हिसार, हरियाणा )