मज़लूम हूँ मैं | Mazloom Shayari
मज़लूम हूँ मैं
( Mazloom hoon main )
मुझे ऐ ख़ुदा जालिमों से बचा लें
कोई फ़ैसला जल्द ही अब ख़ुदा लें
कभी बददुआ कुछ बिगाड़ेगी न तेरा
हमेशा ही माँ बाप की बस दुआ लें
फंसा देगा कोई झूठे केस में ही
यहाँ राज़ दिल के सभी से छुपा लें
किसी से न लड़ सकता मज़लूम हूँ मैं
मुझी पर हुआ जुल्म बदला ख़ुदा लें
पढ़े सब नमाज़ें वफ़ा से हमेशा
ख़ुदा से नेकी ही हमेशा नफ़ा लें
मिला हाथ उससे नहीं दोस्ती का
उसी की ही पहले वफ़ा आज़मा लें
तुझे फ़ूल भेजा है जिसने ए आज़म
उसे उम्रभर अपना ही अब बना लें