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मेहनत | Mehnat

मेहनत!

( Mehnat )

 

बिना मेहनत के कुछ हो नहीं सकता,
पृथ्वी गति न करे, तो दिन निकल नहीं सकता।

मेहनत से ही चलता है किस्मत का सिक्का,
मेहनत बिना जीवन संवर नहीं सकता।

मेहनत की खुशबू से है धरा महकती,
उड़ें न भौरा तो कली तक पहुँच नहीं सकता।

सजा रहता है झूठ हमारी जुबानों पे,
डगर सत्य की न पकड़ें मोक्ष मिल नहीं सकता।

किसान अगर वो मेहनत से बीज न बोये,
तो एक भी दाना खेत से मिल नहीं सकता।

सिंहासन भी बिना मेहनत के मिलता नहीं,
बिना हिम्मत के कोई जंग जीत नहीं सकता।

कुदरत से अदावत करना घाटे का सौदा,
तनी उसकी भृकुटी तो कोई बच नहीं सकता।

एटम-बम,मिसाइलें, बारूद दरिया में डाल,
संयम के बिना जहां में टिक नहीं सकता।

मेहनत का फल आज नहीं,तो कल मिलेगा,
बिना बूँद के सागर कभी भर नहीं सकता।

मनुष्य है अपने भाग्य का स्वयं निर्माता,
बिना कठोर श्रम के सृजन कर नहीं सकता।

 

रामकेश एम.यादव (रायल्टी प्राप्त कवि व लेखक),

मुंबई

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