मेहनत एक साधना | Mehnat ek sadhana | kavita
मेहनत एक साधना
( Mehnat ek sadhana )
साधना और तपस्या है मेहनत खून पसीना है।
कड़ा परिश्रम हौसलों से श्रम से खाना पीना है।
मेहनत एक साधना प्यारे मेहनत ही रंग लाती है।
मंजिले मिलती मनोहर मुस्कान लबों पर छाती है।
हर आंधी तूफानों को जो सहज पार कर जाते हैं।
निर्भय रहकर पथ में बढ़ते मेहनत को अपनाते हैं।
ऊंचे पर्वत हो या नदियां दुर्गम बर्फीली घाटी हो।
रेगिस्तान की गरम तपती थार की चाहे माटी हो।
मेहनत वालों ने बना दी सुरंगे उन दुर्गम राहों में।
कर्मवीर यश कीर्ति पाते बसते जन मन भावों में।
कड़ी साधना कठिन परिश्रम फल होता मीठा है।
मंजिले कदमों में होती पुष्प भाग्य का खिलता है।
डगर डगर पे कठिन परीक्षा मेहनत ही दे पाती है।
श्रमशील प्रगति पाता है चेहरे पे खुशियां आती है।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )