24+ Desh Bhakti Kavita in Hindi देश भक्ति कविता हिंदी में
यह विद्वानों और उत्कृष्ट कवियों द्वारा लिखित हिंदी में सर्वश्रेष्ठ देशभक्ति कविताओं (desh bhakti kavita in hindi) का संग्रह है। हर साल 26 जनवरी को भारत अपने गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह के साथ मनाता है। इस दिन, सेना परेड शुरू करती है, एयर शो प्रदर्शित करती है, और सैनिकों और योग्य उम्मीदवारों को बहादुरी पुरस्कार और परमवीर चक्र से सम्मानित करती है।
इतना ही नहीं, हर टीवी चैनल बॉर्डर, उरी सर्जिकल स्ट्राइक और एलओसी कारगिल जैसी देशभक्ति की फिल्में प्रदर्शित करता है। और सिर्फ एक दिन के लिए राष्ट्रीय शुष्क दिवस मनाया जाता है।
लेकिन, देश के प्रति अपनी देशभक्ति दिखाने के लिए हमें गणतंत्र दिवस का इंतजार करने की जरूरत नहीं है। एक सच्चा देशभक्त नागरिक वह है जो साल भर अपने कर्तव्यों का पालन करता है।
तो इसी वजह से हम आपके लिए लाए हैं शहीदों को श्रद्धांजलि देने और तिरंगे को सलामी देने के लिए हिंदी में शीर्ष देशभक्ति कविताएं (desh bhakti kavitayen)। ये कविताएं आपको इस देश के नागरिक के रूप में आपके कर्तव्यों की याद दिलाएंगी और रोजमर्रा की जिंदगी में हो रहे कुछ कठिन तथ्यों को भी उजागर करेंगी।
लेकिन शुरू करने से पहले, हम एक बार फिर उन सभी साहित्य विशेषज्ञों, शिक्षकों, पाठकों और पेशेवर कवियों को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने इन सुंदर कविताओं को लिखने में योगदान दिया। चलिये सुरु करते हैं। ये desh bhakti kavita hindi mein 100% मूल हैं और कुछ स्थानीय प्रसिद्ध कवियों द्वारा लिखी गई हैं। प्रत्येक लेखक के नाम कविता के ठीक नीचे ही दिए गए हैं।
Desh Bhakti Geet
आओ गुणगान देश का गाए
आओ गुणगान देश का गाए,
गगनचुम्बी तिरंगा फहराए ।टेक।
सदा सत्य को बतलाने वाला,
शौर्य पराक्रम निभाने वाला,
जज्बात वीरों में भरने वाला,
भारतीयता हमें दिलाने वाला।
साक्षी वीरगाथा सुनाने वाला,
स्वतंत्रता पर विजय गीत सुनाए।
आओ गुणगान देश का गाए।
गगनचुम्बी तिरंगा फहराए ।1।
कोई जनरल शहीद कोई भगत,
कोई बना सुभाष कोई वल्लभ।
कोई बने गांधी, कोई लक्ष्मीबाई,
प्रत्यक्ष कारगिल दिखाते लडाई।
वेदांत नियम का पढ़ाते पढ़ाई,
विनयशील उदार जीवन बनाए।
आओ गुणगान देश का गाए।
गगनचुम्बी तिरंगा फहराए ।।2।
लाल किले पर फहर रहा तिरंगा,
शिक्षा विजय की दे रहा तिरंगा।
धर्मचक्र प्रतीक अशोकचक्र तिरंगा,
सभी को एक धागे में पिरोये तिरंगा।
हम सबकी आन-बान-शान तिरंगा,
शक्ति शान्ति सत्य धरा पवित्रता बनाए,
तीन रंग तिरंगा हमें आदर्शवाद बताए ।
आओ गुणगान देश का गाए।
आओ गगनचुम्बी तिरंगा फहराए ।।3।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई
Desh Bhakti Kavita
(मेरे देश की धरती – Mere desh ki dharti)
यह मेरा हिंदुस्तान है, यह मेरा हिंदुस्तान है।
ध्वज तिरंगा हाथों में, ले राष्ट्रगीत गाते हैं।
सरहद के सिपाही, सीमा के सभी जवान।
आंधी तूफानों से भिड़, आगे बढ़ते जाते हैं।
कूद पड़े मैदानों में, धरती मां के लाडले।
बलिदानी राहों पर, तिरंगा लहराते हैं।
धीर वीर पराक्रमी, भारत मां के दुलारे।
हंसते-हंसते जान, वतन पे लुटाते हैं
रग रग में बहती, देशप्रेम की धारा
ये मेरा हिंदुस्तान है,गीत गुनगुनाते हैं
बच्चे बच्चे की जुबां पे, जयहिंद ही आता है।
मातृभूमि वंदन हो, संस्कार सिखलाते हैं।
खुशियां लेकर आया, दिवस आजादी आया।
जश्न ए आजादी सब, महोत्सव मनाते हैं।
वंदन रणवीरों का, धरती मां के वीरों का।
वतन की आन पर, प्राण निज लुटाते हैं।
कवि : रमाकांत सोनी, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, ( राजस्थान )
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Best Desh Bhakti Kavita
(बोलो वन्दे मातरम् – Bolo vande mataram)
कितनी मासूमियत इस मिट्टी में,
सोंधी-सोंधी खुशबू उठती,
बाग-बगीचे मुस्काते इसके,
नृत्य करती सागर की लहरें,
झूम-झूमकर गाती नदियाँ,
ऊँची -ऊँची पर्वत मालाएँ,
चादर बिछी है हरियाली की,
बासंती हवा की मस्ती चढ़ती,
ईद,दिवाली,क्रिसमस,होली,
एक रंग में सब रंग जाते,
खेत-खलिहान फसल से सजते,
एक साथ हम मिलके रहते,
गीता-कुरान के छाँव में पलते,
कुदरत की सौगात बरसती,
डाल-डाल पे पंछी चहकते,
इस मिट्टी से जुड़ी भावना,
प्राणों से भी प्यारा तिरंगा,
आजादी की कोख से निकला,
नदियों खून बहाया हमने,
तब जाकर आजादी पाया,
नभ इससे है शोभा पाता,
तिरंगा हमारे देश की धड़कन,
इसकी शान अमर रहेगी,
रखता है सर देश का ऊँचा,
तीन रंग से सजा तिरंगा,
शक्ति,शांति,प्रगति का द्योतक,
देशभक्ति की ज्योति जलाता,
रुके नहीं विकास का पहिया,
शत्रु काँपता इसे देखकर,
महाशक्ति ये देश बनें,
सारे जहां से अच्छा भारत,
मिट जाएँगे देश की खातिर,
राणा, शिवा, भगत की जय,
अमर रहें अशफाकउल्ला,
जान हथेली पे हम रखते,
उफ़ तक जुबां नहीं बोलेगी,
नहीं टूटेगी बलिदान की परंपरा,
थाल भाल से सजा रहेगा,
बोलो वंदेमातरम।
कवि,साहित्यकार : रामकेश एम.यादव, मुंबई, (महाराष्ट्र)
इसकी जांच करें: Emotional Sad Shayari
Desh Bhakti Kavita in Hindi
(तुम खो मत देना ये आज़ादी – Tum kho mat dena ye azadi)
तुम खो मत देना ये आज़ादी
पुरखों के बलिदानों की,
कफ़न बाँध के लड़े दीवाने
सरहद पे वीर जवानों की,
भूल न जाना जलियांवाला
वो लाशें निहत्थे इंसानों की।
सवा लाख से एक लड़ाया
गोबिंद वो वीर दुलारा था,
स्वाभिमान नहीं बेचा
क्योंकि हिंदोस्तां उनको प्यारा था,
खून से लिखा इंकलाब
उस भगतसिंह की जवानी की।
तुम्हारे कल के लिए वो पास्ट बन गए
गोलीबारी,धमाकों में ब्लास्ट बन गए,
आज उनकी वजह से प्रथम हो यारों
वो आख़िरी,अंतिम, लास्ट बन गए,
बोस ,वो उधम सिंह
वो मर्दानी,झाँसी की रानी की।
मिट गए मगर झुके नहीं
आँधी-तूफ़ानों में भी रुके नहीं,
क्यों खाई सीने पे गोली
ताकि खेल सको रंगों की होली,
थी उनकी भी चंपा-चमेली
है दाद उनकी अभिमानी की।
मंगल पांडे, दुर्गा,झलकारी
जाने कितनों की बलिदानी,
सरहद पे बहा वो लहू गवाह
मिटा के हस्ती बने निशानी,
नमन है उन जननी माँ ओं को
जिनके लालों की ये अमिट कहानी।
उनकी शहादत पे “दीप” जलाएँ
करें नमन सब हिंदुस्तानी,
वतन आन और बान सभी की
सजदे में यही सच्ची कुर्बानी,
नफ़रत का न हो वास दिलों में
हो वंदे मातरम की रवानी की।
तुम खो मत देना ये आज़ादी
पुरखों के बलिदानों की!
कवि : कुलदीप दहिया “मरजाणा दीप”, हिसार (हरियाणा) भारत
देश भक्ति कविताएँ
(मैं देश नहीं बिकने दूंगा)
तीरों पे चाहे तीर चले तोप चले या कोई तलवार
मैं नैन नहीं चलने दूंगा मैं देश नहीं बिकने दूंगा
गद्दारों को मार भगाओ अमन चैन शांति लाओ
राष्ट्रभक्ति भाव फैलाओ दीनों को गले लगाओ
जहर उगलती जो हवाएं वो बयार नहीं बहने दूंगा
राष्ट्रद्रोह चलने वालों को एक पल नहीं रहने दूंगा
फन फैलाए बैठे द्रोही हरदम नहीं टिकने दूंगा
शीश कट जाए भले ही मैं देश नहीं बिकने दूंगा
अलख जगाता राष्ट्रप्रेम की वंदे मातरम गाता हूं
भारत मां के चरणों में नित झुक शीश नवाता हूं
चेतना की मशाल जला अंधकार मिटाया करता हूं
घट घट में नित देशप्रेम के भाव जगाया करता हूं
जहरीले कांटों को राहों में कभी नहीं दिखने दूंगा
भारत मां का लाल दीवाना देश नहीं बिकने दूंगा
देशप्रेम मतवाला हूं मैं प्रलयंकारी ज्वाला हूं
सारी दुनिया हिल जाए राणा का भाला हूं
मैं दुश्मन के मंसूबे कभी पूरे नहीं होने दूंगा
जनता को हरगिज खून के आंसू नहीं रोने दूंगा
देशभक्ति का जज्बा जन मन से नहीं डिगने दूंगा
आन बान शान वतन की देश नहीं बिकने दूंगा
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, (राजस्थान)
Desh Bhakti Kavita Hindi Mein
(Hai hasi kitna ye watan mera)
है हंसी कितना ये वतन मेरा
फ़ूलों से ये खिले चमन मेरा
है ख़्वाहिश दिल की मेरी ये यारों
काम वतन के आऐ बदन मेरा प्यारो
ये है तो चैन से सोते घर में
हर सैनिक को दिल से नमन मेरा
नफ़रत की ख़त्म हो बू हर दिल से
देश हो प्यार का अमन मेरा
हर किसी में उल्फ़त महकाये
एकता से बंधा वतन मेरा
आंच आने न दो वतन पे ही
है बस आज़म यही कहन मेरा
शायर: आज़म नैय्यर, (सहारनपुर )
Hindi Kavita on Desh Bhakti
(Chal Chal Re)
चल चल रे नोजवान चल चल रे
जरा उठ के तू चल
उस पथ पे तू चल
जहां देश रहा जल जल रे
तेरी रगों में है खून
तेरे दिल में जूनून
तेरा दृढ़ मनोबल
कर सेवा तू अटल चल चल रे
शत्रु कितने भी आये
कोई बचने ना पाये
तोड़ हर दल दल
कर अटल पटल हल चल रे
कवि: राजेश गोसाईं
Patriotic Poems in Hindi
(आरजू – Aarzoo)
एक आरजू एक तमन्ना
एक मेरी अभिलाषा
अटल रहूं सीमा पर डटकर
रख रण कौशल की भाषा
जोश जज्बा रग-रग में
हौसला है भरपूर मेरा
तिरंगा की आन बान में
मां भारती सम्मान तेरा
अरि दल से लोहा लेने को
भीड़ जाते तूफानों से
तपन धरा की ओज भरती
दिल्ली के फरमानों से
मातृभूमि पर शीश चढ़ाते
वंदन उन महावीरोंं को
वतन परस्ती जोश दिलों में
उन जोशीले रणधीरों को
कवि : रमाकांत सोनी, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, (राजस्थान)
Poem on Patriotism in Hindi
Poem Title: देश का मान बढ़ाती हिंदी
गौरव गान सिखाती हिंदी, राष्ट्रप्रेम जगाती।
राष्ट्र धारा बन बहती, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
देश का सम्मान हिंदी, वंदे मातरम गान।
सबके दिल में बसने वाली, देश की पहचान।
मोहक लय तान हिंदी, सबका है अभिमान।
गीत बन गूंजे धरा पर, मधुर नेह का भान।
उर भाव जगाती हिंदी, मंद मंद मुस्काती।
हृदय प्रेम भाव जगाती,देश का मान बढ़ाती हिंदी।
सरहद के रखवाले गाते, सदा तिरंगा शान हिंदी।
यशगाथा उन वीरों की, लूटा गए जो जान हिंदी।
राष्ट्र का उत्थान हिंदी, वीरों का गुणगान हिंदी।
सद्भावो की बहती सरिता, होठों पर मुस्कान हिंदी।
भाईचारा प्रेम जगाती, संस्कृति सिखाती हिंदी।
वसुदेव कुटुंबकम ले, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
गीता का सब सार हिंदी, पावन गंगा धार हिंदी।
बहती मधुर मधुर पुरवाई, सावन की फुहार हिंदी।
तीज और त्योहार हिंदी, प्रगति का आधार हिंदी।
होली के रंगों की छटा, दीपों की सजी बहार हिंदी।
भाई बहना प्यार झलके, रक्षासूत्र बन जाती हिंदी।
रिश्तों में मधुरता घोले, देश का मान बढ़ाती हिंदी।
कवि : रमाकांत सोनी, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, (राजस्थान)
Desh Bhakti Kavita in Hindi
(जगाने आया हूं – Jagane Aaya Hoon )
उठो वीर जवानों जागो अंगार सुनाने आया हूं।
भारत मां के लाल जगो मैं तुम्हे जगाने आया हूं।
स्वाभिमान भर मुस्काओ संस्कृति सम्मान करो।
मातृभूमि वंदन निशदिन मां भारती गुणगान करो।
शौर्य पराक्रम ओज भरा रणवीरों की ललकारो में।
बलशाली हो महारथी खूब जोश भरा तलवारों में।
मात पिता गुरु सेवा का धरा संस्कारों की माता है।
माटी का कण कण चंदन सबकी भाग्यविधाता है।
ओज भरी हुंकार लिए फनकार सुनाने आया हूं।
वीरो रणधीरों में साहस जोश जगाने लाया हूं।
देशभक्ति राष्ट्रदीप अब जलती हुई मशाल बनो।
अटल हिमालय सा सजग सागर सा विशाल बनो।
देशप्रेम की बहाकर गंगा फर्ज निभाने आया हूं।
लेखनी दीपक लेकर अंधकार मिटाने लाया हूं।
राष्ट्रधारा बस देशहित में नित गीत तराने गाता हूं।
वंदे मातरम वंदे मातरम भारत माँ शीश नवाता हूं।
कवि : रमाकांत सोनी, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, (राजस्थान)
Poem on Deshbhakti in Hindi
देश गीत (Ganatantra Divas vishesh)
हंसि चढ़े फांसी कितने विरनवा
ललनवा देशवा के ।
झूल गए अमर झुलनवा ललनवा देशवा के ।।
देश के आजादी खातिर कितने बलिदान दिए
तन मन धन आपन अनमोल जान दिये
कर दिए अर्पण सुख और सपनवा (१)
घर वार आपन छोड़े अपनों से नाता तोड़े
यारी रिश्तेदारी छोड़े भाई-बहन प्यारी छोड़े
छोड़ दिए आपन जीवन के सवनवा (२)
उनके बलिदान को सब मिट्टी में मिलाए
नेता और परेता देश बेचि बेचि खाए
लूट रहे देश का अनुपम खजनवा (३)
चारों तरफ चोरी है बड़ी घूसकोरी है
कहीं सच्चा पानी तो सगरो बेईमानी है
कहूं में बचा है नाही तनिको ईमनवा (४)
आओ कसम हम सब मिलकर खाएं
आन मान शान अपने देश की बचाएं
अखिल भूवन में फहराए निशनवा (५)
कवि : रुपेश कुमार यादव ”रूप”, औराई, भदोही, (उत्तर प्रदेश)
Desh Bhakti Kavita Hindi
(नशा मुक्त हो देश हमारा – Nasha mukt ho desh hamara)
सुन मेरे भाई अब समझ ले बेहतर समझ ले,
नशा नाश की जड़ है, तन और मन होता खराब|
जब खराब होगा तेरा जिंदगी तो जिंदगीका बोझ उठाने के लिए दर-दर भटकेगा,
कोई नहीं देगा तेरा साथ अकेले हो जाएगा इस जहां में|
तू घर बेचेगा जमीन बेचेगा आखिर में घर का थाली तक बेच देगा,
तुम्हारा परिवार बिखर जाएगा|
नशा से तुम्हारा जिंदगी अंधकारमय हो जाएगा,
अपने आप को जिंदगी के अंधेरों में आखिर में खोजते रह जाओगे|
तुम्हारे साथ तुम्हारे दोस्त सब आगे बढ़ जाएंगे,
नशा में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर डालोगे|
ऐ इंसान अपने परिवार लिए जी नशा छोड़ दे अभी के अभी,
तू नशा छोड़ेगा तेरा परिवार तुमको फिर मिल जाएगा|
मान मेरा कहना नहीं तो पछतायेगा,
सोना जैसे शरीर मिट्टी सामान बन जाएगा|
आओ सब मिलकर हम कोशिश करें,
हमारे आने वाली पीढ़ी कुछ कर सके|
तो हम सब हम सब मिलकर यह संकल्प लें,
नशा मुक्त भारत हमारा देश बने|
हमारी सभ्यता हमारी संस्कृति से नशा का नामोनिशान मिट जाए,
हमारे राष्ट्र का कोई भी परिवार नशा से बर्बाद ना हो हमेशा आबाद रहे|
हम सब संकल्प लें ना खुद नशा करेंगे मैं दूसरों को करने देंगे|
नशा भारत छोड़ेगा हमारा परिवार टूटने से बचेगा|
लेखक- बिसे लाल (सहायक शिक्षक), शासकीय प्राथमिक शाला मेंड्रा, विकासखंड खड़गवां, जिला कोरिया (छ.ग.)
Desh Bhakti Kavita in Hindi Short
(हुंकार – Hunkaar)
चढ़ गई प्रत्यंचा अब युद्ध की टंकार सुनो
हुआ रणभूमि में शंखनाद अब मेरी हुंकार सुनो
रंग मस्ती का उबल रहा है
लहू बन कर रग रग में
चला हूं देश हित में कुछ कर दिखाने को सुनो
बांध सर पे कफ़न लिये दिल में वतन
छाती में दुश्मन के तिरंगा फहराने को सुनो
चीर के रख देना है शत्रु का सीना अब दो फाड़ हो जाने दो
मौज है मतवालों की आजादी की ललकार सुनो
रक्त रंजित चीखों में यहां दीवाने हंसते हैं
समर धरा पे मातृभूमि की रक्षा खातिर क्षण क्षण में परवाने सूली चढ़ते हैं
है जुनून दिल में देश सेवा का अरमान मिलेगा
चीर के देख लो सीना मेरा केवल हिंदुस्तान मिलेगा
कवि: राजेश गोसाईं
Best Desh Bhakti Kavita in Hindi
(बधाई – Badhai)
आज बधाई है आज बधाई है
बड़ी खुशी है आज
हुआ वतन आजाद
आंगन में हवा खुली ये आई है
सरहद पे डेरा हमने लगाया
दुश्मन ने घेरा खूब बनाया
भारत मां की लाज बचाने को
काट के सिर दुश्मन के लाने को
बैठे थे बारूद के ढेर पे
शेर वतन के दिवाने वो
महाकाल बन कर ताण्डव रचाने वाले
लौट के घर तिरंगे में आने वाले
शहीद होकर देश बचाया
देश सेवा का घर घर में
अलख जगाया
लहु से सींचा वतन प्यारा
तूने मधुबन बनाया
ये तो यज्ञ है आजादी का
मातृभूमि में आहुति का
धन्य हैं वो मस्ताने लाखों
जिन्होंने जान गंवाई है
वतन की लाज बचाने वाला तू
आंख में दरिया लाने वाला तू
जाते जाते कह गया
मैं तो लड़ा नहीं मेरे पीछे
देश लड़ा कहने वाला तू
आंचल में मां के सर रखता था
धरती मां की गोद में सोने वाला तू
तस्वीर तेरी भी खूब सजाई है
हार तोड़ बांधी राखी की डोर
रोते रोते बहना जो लाई है
आंख पोंछे मां का पल्लू
कोने में मिलती चश्मे की रूलाई है
बादलों में गुम होके नजर ना आयेगा
सेवा से तेरी देश जाग जायेगा
देश मेरा वीरों की बगिया
फिर भी सूनी हैं गांव की गलियां
मुरझा गयी सब दिल की कलियां
सफेद साड़ी में सिंदूर मिटा है
खेल खिलौनों का घर टूटा है
सेहरा बांध गोलियों का
मौत की घोड़ी पे दुल्हन
आजादी की ले आया तू
खुली हवायें खुली फिजांयें
खुले आसमां मे
अब खुशियां आईं हैं
कवि: राजेश गोसाईं
देशभक्ति पर कविताएँ
(राष्ट्र पुत्र – Rastra Putra)
राष्ट्रपुत्र वीर तुम
राष्ट्र का निर्माण हो
राष्ट्र की अखंडता में
प्रबल तुम प्रमाण हो
राष्ट्र के स्वाभिमान में
सर्व शक्ति मान हो
राष्ट्र की जान हो
काल के कपाल पर
लहू को उबालकर
शत्रु की चाल पर
निगाह दूर डाल कर
शत्रु के समक्ष भाल कर
हुंकार कर ललकार कर
शत्रु के वक्ष पर
अस्त्र-शस्त्र रखकर
शौर्य शक्तिपुंज का संचार कर
शत्रु की डगर पर
रूको नहीं झुको नहीं
ठान लो तो शत्रु का
काम सब तमाम हो
अजर बनो अमर बनो
प्राण लो तो प्राण का भी दान दो
जहां चलो शत्रु के
नगर में भूचाल हो
दुश्मनों के शीश पर
चढ़ चलो बढ़ चलो
एक हाथ तिरंगा
दूजे में मशाल लो
राष्ट्र की आन बान में
राष्ट्र की शान हो
विश्व के अटल पटल पे
राष्ट्र का ही नाम हो
पृष्ठ पृष्ठ पर स्वर्णिम
अक्षर का विश्राम हो
विश्व के मानचित्र पर
अखंड हिंदुस्तान हो
प्रहार कर संहार कर
चीन पाकिस्तान पर
नये युग निर्माण में
हिंद का जयगान कर
वंदे मातरम बोल
खेल फिर जान पर
धरती अम्बर में
राष्ट्र का यशगान कर
मुख में जयघोष
संग विजय का निशान हो
आये धरा पे संकट
तो हिंद का तुफान हो
राष्ट्र पुत्र वीर तुम, भारत का अभिमान हो
कवि: राजेश गोसाईं
Desh Bhakti Poems
(मुल्क अपना अमन चाहता है – Mulk Apna Aman Chahta Hai)
मुल्क अपना अमन चाहता है
सुगंधित पुष्प महकना चाहता है
तेजाब से न सीचों क्यारियों को
ये मुल्क अब महकना चाहता है
कसूर पुष्पों का नहीं कीड़ों का है
बीमार मुल्क इलाज दवा चाहता है
आजाद परिंदे है जबरन से कैद यहां
अब ये परिंदे आजाद उड़ना चाहता हैं
नफरत से जबरन बीज ना उगाओ तुम
अब ये खेत लह लहराना चाहता हैं
हुकूमत में कानून तो जायज है
पर मुल्क हिफाजत रोटी चाहता है,
सबका जीवन हवा सूर्य पानी है
पर ये मुल्क बेचना नहीं चाहता है
रात की चांदनी अंधेरी रोशनी है
ये मुल्क रोशनी रोशनी चाहता है
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा, (ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी), उत्तर प्रदेश : Pin-212218
Hindi Poems Desh Bhakti
(माँ के लाल – Maan Ke laal)
पुकारती है भारती, नराधमों के काल बन।
उठो ना माँ के लाल अब।
जो रूक गए थमें जो तुम,तो होगा फिर विनाश अब।
कटेगा फिर से अंग रंग, पापीयों का देख ढंग।
जो सीखना है जानना है, तो पढो इतिहास को।
काल के कपाल को, भारत के इस समाज को।
फूलों की विविधता लिए, उधान ये विशाल है।
नराधमों की दृष्टि में, शोधन यहाँ अपार है।
तू प्रेम का सम्मान कर, मन मे धरा सा धीर भर।
अपमान का प्रतिकार कर,विश्वास पर विश्वास रख।
पर याद रख विश्वास का, खण्डन हुआ हर बार है।
माँ भारती के अंग का, दोहन हुआ हर बार है।
इस बार ऐसा ना हो फिर, पद दलन हो जाए कही।
हुंकार ले अब सिंह सा, माँ भारती के लाल अब।
कवि : शेर सिंह हुंकार, देवरिया (उत्तर प्रदेश)
शेर सिंह हुंकार जी की आवाज़ में ये कविता सुनने के लिए ऊपर के लिंक को क्लिक करे
Poem on Desh Bhakti
(फ़र्ज ईमान के आगे – Farz Iman Ke Aage)
लगे हर बात फीकी -सी फ़र्ज- ईमान के आगे।।
नहीं कुछ मोल है धन का कभी सम्मान के आगे।।
लुभाता अब नहीं मौसम न कोई शय लगे दिलकश।
नज़ारे है सभी फीके खुदा की शान के आगे।।
कदर करता न रिश्तों की न माने कायदों को वो।
कभी अधिकार की बातें न कर बैमान के आगे।।
गुणों को ताक पे रखदे नहीं कीमत किसी फ़न की।
कोई खूबी नहीं टिकती यहां धनवान के आगे।।
हैं हम उस देश के वासी बराबर हैं जहां सब जन।
अदब से सर झुकाते हैं सभी संविधान के आगे।।
वतन के वास्ते जीना वतन के वास्ते मरना।
फरिश्ते भी करे सजदा सही ईंसान के आगे।।
बहुत से है सुने नग़में खुशी के भी ग़मों के भी।
लगे हर गान फीका सा ही राष्ट्रगान के आगे।।
कहीं से काश आ जाते हमारे बोस नेता जी।
ठहर पाता न कोई मुल्क हिंदुस्तान के आगे।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार” (हिंदी लैक्चरर) GSS School ढाठरथ जींद (हरियाणा)
Desh Bhakti Poem for Kids
(Kya Dil Mein Basa Jag Ko Dikha Kyon Nahi Dete – क्या दिल में बसा जग को दिखा क्यूं नहीं देते)
क्या दिल में बसा जग को दिखा क्यूं नहीं देते।
जज्बात बयां करके बता क्यूं नहीं देते।।
सर सामने इसके झुका भी दो सभी यारो।
तुम शान तिरंगे की बढा क्यों नहीं देते।।
दिन-रात सँवारो इसे जन्नत की तरह तुम।
तकदीर वतन की यूं बना क्यों नहीं देते।।
तस्वीर की मांनिद इसे इस दिल में बसा लो।
सर देश की माटी को नवां क्यूं नहीं देते।।
जो आंख दिखाए उसे बंदूक दिखाओ।
अरमान सभी उसके मिटा क्यूं नहीं देते।।
फिर सामने आए नहीं दुश्मन कभी “कुमार”।
सर उसका कुचल करके सजा क्यूं नहीं देते।।
कवि व शायर: मुनीश कुमार “कुमार”, (हिंदी लैक्चरर), GSS School ढाठरथ, जींद (हरियाणा)
देशभक्ति पर हिंदी कविता
(हम उस देश के वासी हैं – Hum us desh ke vasi hai)
जहाँ बेरोजगारों को रोजगार नहीं
जहां कामगारों को काम नहीं
जहां सिक्का चलता मंत्रियों का
हम उस देश के वासी हैं
जहां बड़े बड़े होते घोटाले हों
निजीकरण का बोलबाला हो
अमीरों की ही सुनती सरकार हो
जहां किसानों को फसलों का मिलता भाव नहीं
जहां कर्ज़ में डूबे किसान फाँसी झूलते दिखते हों
खराब हुई फसलों का मिलता नहीं मुआवजा हो
जहां अपनी बात कहने का हक नहीं
अपनी मांगों को मनवाने का हक नहीं
जहां पुलिस द्वारा लोगों पर लाठियां भांजी जाती हो
कवि : सन्दीप चौबारा, (फतेहाबाद)
Patriotic Poem in Hindi
(गरीब अमीर देश विच पिसते हम – Garib amir desh beech piste hum)
अमीर गरीब की खाई
नहीं मिटने को भाई
जबतक है स्वार्थ
सोचना ही है व्यर्थ।
जनसाधारण की कौन कहे?
देशों का भी यही हाल है
अमीर देश गरीब का काल है।
धौंस दिखा गरीब पर शिकंजा कस रहे हैं,
उनके हिस्से का माल भी हड़प रहे हैं।
जहां पैसे की बात हो
वहां अधिक मूल्य देकर खरीद रहे हैं।
बेचारे गरीब देश!
मुंह ताकते रह जा रहे हैं,
वहां के लोग-सरकार भरोसे नहीं
भगवान भरोसे जी रहे हैं ।
अमीर गरीब विच हम पिस रहे हैं।
अमीर देशों में टीका खरीदने की होड़ है,
पहले मैं पहले मैं की शोर है।
सरकार दावे तो बहुत कर रही है,
लेकिन धरातल पर सिफर ही है।
बिहार में है चुनाव ,
केवल सगुफा दिखे सुबह शाम ।
चैनलों पर सुशांत की है शोर,
सरकारों का ध्यान है कहीं और।
चीन पाकिस्तान दाऊद फिर से उभरने लगे,
सरहदों पर तनाव फिर से बढ़ने लगे।
चुनाव बाद सब थम जाएगा,
अगले चुनाव में फिर आएगा।
हमारे नेताओं को इसकी चिंता नहीं,
वो तो खरीद रहे अपने लिए जहाजें नई-नई।
फुर्रसत कहां है चुनाव से,
कि इस पर गौर करें!
सरकार को कोई खतरा भी नहीं है,
विकल्प ही नहीं है।
जनता भी दिग्भ्रमित है,
मारी गई उसकी मत है;
इसी तर्ज पर सब चल रहा है।
आदमी भीतर से उबल रहा है,
पर बोल कोई कुछ नहीं रहा है
शायद भयभीत हो गया है,
कहीं पाकिस्तान न भेज दिया जाए?
बोलने की कुछ ऐसी सजा दी जाए।
बेहतर है!
सह कर, मौन रहकर ही सब झेल लिया जाए,
हमारी जान किसी तरह बच जाए!
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर, सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
Best Poem on Desh Bhakti in Hindi
(प्यारा हिन्दुस्तान – Pyara hindustan)
गणतंत्र हमारा प्यारा सबसे, प्यारा हिन्दुस्तान|
ऊँचा सबसे दिखे तिरंगा, हमारा न्यारा हिन्दुस्तान|
जब तक गंगा-जमुना बहतीं, गगन मे निकले सूरज|
नाम रहेगा हिन्दुस्तान का, पश्चिम हो या पूरव|
हिंदुस्तानी लोगों के दिल में बसता|
जाएं किसी भी कोने लेकिन दिखता|
तीन रंगो से सजा तिरंगा, हरा सफेद केशरिया|
अशोक चक्र रंग नीले से, चौबिस लकीरें बढ़िया|
बलिदान दिए जिन बेटों ने, जो डटे अभी भी सीमा पर |
जी जान न्योछावर कर जाते, जन्म-भूमि भारत माँ पर |
भारत में हमने जनम् लिया, ये अटल सौभाग्य हमारा है |
सीमा पर खडे हुए बीरों को, सौ बार सलाम हमारा है |
कहते लोग विश्व के सारे,भारत सोने की चिडिया |
भांति-भांति की बोली भांषा,नन्हें-मुन्हे गुड्डे-गुडिया |
भारत की मिट्टी सोना है,तिरंगे सी फसलें लहरती है |
उन्नति की देती सीख सदा,जीने की राह बताती है |
प्यारा हिन्दुस्तान हमारा||
लेखक: सुदीश कुमार सोनी (जबलपुर) मो.9770740776
देशभक्ति बाल कविता
(मेरा देश है सबसे प्यारा – Mera desh hai sub se pyara)
मेरे देश का ध्वज
शिव अपने सर पे लहराए
बांध तिरंगा चंद्रभाल पे
तन में वो भस्मी लगाए
घुमड़ घुमड़ बाजे बादल
धरती झूम झूम फूल बरसाए
आओ हम भरे रंग एकता का
चलो मिलकर राष्ट्रध्वज फहराए
जय शिव ओंकारा
मेरा देश है सबसे प्यारा
कवि :विशाल शुक्ल, छिंदवाड़ा
छोटी देशभक्ति कविताएँ
(किन हाथों में देश सुरक्षित – Kin hathon mein desh surakshit)
आशा जैसी हुई प्रमाणित, सब को आज खबर है !
किन हाथों में देश सुरक्षित, किन में सिर्फ जहर है !!
क्रूर आक्रमण से विषाणु के, कौन बचा ले आया
देश सुरक्षित रखा बचाया, किसका गहन असर है !!
लूटा,किया बहुत अपमानित, जिन दुश्मन देशों ने
किसने उनकोआतंकित कर,ढाया कठिन कहर है !!
याचक और भिखारी जैसी,छवि कल बनी हुई थी
वह भारत किस के बलबूते, दिखता ताकतवर है !!
सबसे ज्यादा आदर देती , किस चेहरे को दुनिया
वह क्या कहता इस पर सबकी,रहतीबनी नजर है !!
हैं भारत जन सब देशों में , क्यों ज्यादा सम्मानित
किसके तेज औरआभा से, ज्योतित हर अन्तर है !!
चोर और अपराधी सब ही , उससे त्रस्त पड़े हैं
बना रहा वह राम राज की, सुन्दर नई डगर है !!
तप रत बैठा बन भागीरथ, सजग सतत वह योगी
शौर्य,विवेक,नीति का उसकी,मन्त्र पूर्ण भास्वर है !!
भू “आकाश” कामना करते,मिलें उसे इच्छित वर
निश्चय उसकी विमल साधना, पाप शाप उद्धर है !!
कवि : मनोहर चौबे “आकाश”, 19 / A पावन भूमि , शक्ति नगर , जबलपुर, 482 001, (मध्य प्रदेश)
Best Desh Bhakti Kavita in Hindi – Poem 2
(प्रीत भरे अंदाज – Preet bhare andaaz)
सरहद के रखवाले रण में कूच कर जाएंगे
देश भक्ति जोश जज्बा दिलों में भर जाएंगे
महकते शब्दों की खुशबू हम जग में फैलाएंगे
सद्भावों के मोती लेकर जन मन में बस जाएंगे
हर्ष खुशी आनंद भर विजयी तिरंगा लहराएंगे
भारत मां के जयकारों से आकाश गूंज जाएंगे
लेखनी की जोत जला जग रोशन कर जाएंगे
कीर्तिमान रच काव्य सरिता जीवन में बहाएंगे
उर उमड़ते भावों को कलमबद्ध कर जाएंगे
किताबों के हर पन्ने जब पल-पल मुस्काएंगे
खिलते पुष्प चमन के सारे हम से बतियाएंगे
मधुर मधुर मीठे शब्द सुरीले होठों से आएंगे
बहते झरनों से शब्द प्यारे झर झरकर आएंगे
गीतों में ढलकर मोती प्यारा संगीत सजाएंगे
महक उठेगी महफ़िल गीत तराने मधुर आएंगे
प्रीत भरे अंदाज मधुर सबके मन को हर्षाएंगे
कवि : रमाकांत सोनी, नवलगढ़ जिला झुंझुनू, (राजस्थान)
कुछ सवाल जवाब – Desh Bhakti Kavita Questions
भारत के पहले राष्ट्रपति और संविधान दोनों ने बनने पर भारत के प्यार के बारे में स्पष्ट टिप्पणी की। तो, एक देशभक्ति कविता साहित्यिक कला का एक टुकड़ा है जो भारत के पहले राष्ट्रपति और संविधान की तरह अपने देश के प्यार को समर्पित है।
देशभक्ति की कविता लिखने के लिए हमें पहले एक केंद्रीय विचार के बारे में सोचना चाहिए, चाहे वह सामाजिक कारण हो, हमारे शहीदों का बलिदान, देश में समस्याएं आदि। उसके बाद हमें उस विचार से एक विषय चुनना होगा, जैसे रवींद्रनाथ टैगोर। विषय का चयन करने के बाद, नोट करें कि इसने समग्र रूप से देश में कैसे बदलाव किए हैं या यह देश को कैसे प्रभावित कर रहा है। कागज के एक टुकड़े या नोटपैड पर इन सभी कारकों को सूचीबद्ध करें। अंत में, एक कविता बनाने के लिए प्रत्येक वाक्य के अंत में शक्तिशाली शब्दों, समानार्थक शब्द, विलोम और तुकबंदी का उपयोग करें।
देशभक्ति की कविताएं हमें देश के प्रति वफादार रहना, उसके संविधान का पालन करना, अन्य मनुष्यों के प्रति विनम्र होना और बदले में कुछ भी उम्मीद किए बिना राष्ट्र के लिए योगदान देना सिखाती हैं।
दुनिया के विभिन्न देशों में एक कृत्रिम स्थिति है और उन्हें एक राष्ट्र प्रमुख की जरूरत है, जिसे एक नेता के रूप में जाना जाता है। देश की प्रगति और विकास लोगों द्वारा चुने गए नेता पर निर्भर है। प्रत्येक निर्वाचित मंत्री अपने पद के उद्घाटन पर शपथ लेता है और अपना वादा निभाने के लिए उसे देशभक्त होने की जरूरत है।
जाहिर सी बात है कि आज का राजनेता उस कुर्सी पर हमेशा नहीं रह सकता। एक बार कार्यालय में उनका समय समाप्त हो जाने के बाद, एक नया अधिकारी कार्यभार संभालेगा। और यह सिलसिला आने वाली सदियों तक चलता रहेगा। इसलिए आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने देश के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आज के बच्चों को देशभक्ति का अर्थ सिखाना जरूरी है क्योंकि वे कल के नेता भी हैं।
अगर किसी देश का नेतृत्व एक गैर-देशभक्त नेता करता है, तो देश का पीछे हटना तय है। इसलिए, वर्तमान समय में, देश को वास्तव में लोगों और उनके नेताओं में देशभक्ति की आवश्यकता है। - महेश पंत
निष्कर्ष
हम आशा करते हैं कि आपको हिंदी में सर्वश्रेष्ठ देशभक्ति कविताओं (desh bhakti kavita in hindi) के हमारे संग्रह को पढ़ने में मज़ा आया होगा। हम आपको सूचित करना चाहते हैं कि हमारी वेबसाइट पर ऐसी ही हजारों कविताएं प्रकाशित हैं। बेझिझक इनमें से कोई भी छंद नीचे दिए गए बटनों का उपयोग करके अपने दोस्तों के साथ साझा करें।
किसी भी तरह से, यदि आपके पास लिखने, चर्चा करने के लिए कुछ है, या शायद आप अपनी खुद की कविता साझा करना चाहते हैं, तो कमेंट बॉक्स आपके लिए खुला है।
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