मिलाते तो सही

मिलाते तो सही | Milate to sahi poem

मिलाते तो सही

( Milate to sahi poem )

 

आवाज़ से आवाज़

मिलाते तो सही….!

दिल से दिल

मिलाते तो सही…..!

मन से मन

मिलाते तो सही…..!

हाँ में हाँ

मिलाते तो सही…….!

सुर से सुर

मिलाते तो सही…..!

हाथ से हाथ

मिलाते तो सही…..!

नज़र से नज़र

मिलाते तो सही……!

क़दम से कदम

मिलाते तो सही…….!

कंधे से कंधा

मिलाते तो सही……!

फिर कभी

जिस्म से जिस्म मिलाने की

जरूरत ना होती….!

फिर हवस की

अग्नि जलाती ना….!

फिर प्रेम में

जिस्म शामिल होता ना……..!!

 

?

कवि : सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)

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