सुनहरी यादें | Kavita sunheri yaadein
सुनहरी यादें
( sunheri yaadein )
तुमसे मिले थे पहली दफा
याद है अब भी मुझे वो
तुम्हारी सुनहरी यादें।
भुलाई नहीं जा रही है अब भी
दिल से वो सुनहरी यादें
जब हम ने बहुत अरमान
अपने दिल में संजोए थे
सोचा था, मिलेंगे जब भी हम
चाहेंगे टूट कर एक-दूसरे को।
नहीं भूल पा रहे हैं हम
तुम्हारे साथ की बातें
तुम्हारी प्यार की बातें
हर पल याद रहती है तेरी सूरत
दिल मे तस्वीर बन कर।
मेरा तुमसे हुआ था पहला मिलन
तुम भी आ गई थी मेरी बाहों में
बिना किसी झिझक के
समा गई वो थे मेरे जिस्म में
मेरी साँसों की तरह
भुला नहीं पा रहा हूँ मैं
तुम्हारी वो सुनहरी यादें।।।
कवि : सन्दीप चौबारा
( फतेहाबाद)