मित्र | Kavita Dosti par
मित्र
( Mitra )
लम्हे सुहाने हो ना हो।
चाहत की बातें हो ना हो।
प्यार हमेशा दिल में रहेगा,
चाहे मुलाकात हो ना हो।
खुशियों में गम़ मे भी शामिल रहेगे।
तुझसे अलग हो के कैसे रहेगे।
बातें सभी दिल की तुमसे कहेगे।
चाहे दिन खुशनुमा ये रहे ना रहे।
लम्हे सुहाने हो ना हो।
चाहत की बाते हो ना हो।
प्यार हमेशा दिल में रहेगा,
चाहे मुलाकात हो ना हो।
बचपन बिताया है जब साथ तेरे।
रौनक रही हर सुबह शाम मेरे।
दिन आखिरी भी तेरे संग रहेगे।
चाहे बेहतर हालात रहे ना रहे।
लम्हे सुहाने हो ना हो।
चाहत की बातें हो ना हो।
प्यार हमेशा दिल में रहेगा,
चाहे मुलाकात हो ना हो।
हक तुझपे अपना जताते रहेगे।
कानों के नीचे बजाते रहेगे।
तू चाहे जितना भी आगे चला जा।
खींच लाएगे हालात जो भी रहे।
लम्हे सुहाने हो ना हो।
चाहत की बातें हो ना हो।
प्यार हमेशा दिल मे रहेगा,
चाहे मुलाकात हो ना हो।
कुछ पंक्तियों पे तेरा नाम होगा।
जिसमे छुपा मेरा जज्बात होगा।
पढ़ कर तुम्हे याद आते रहेगे।
बाद हुंकार शायद रहे ना रहे।
लम्हे सुहाने हो ना हो।
चाहत की बातें हो ना हो।
प्यार हमेशा दिल में रहेगा,
चाहे मुलाकात हो ना हो।
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कवि : शेर सिंह हुंकार
देवरिया ( उत्तर प्रदेश )