नफ़रत की राहें मगर अच्छी नहीं
नफ़रत की राहें मगर अच्छी नहीं

नफ़रत की राहें मगर अच्छी नहीं

( Nafrat ki rahe magar achi nahi )

 

 

नफ़रत की राहें मगर अच्छी नहीं

जीस्त यूं करनी बशर अच्छी नहीं

 

मत मिला उससे निगाहें  प्यार की

बेवफ़ा  है  वो  नज़र  अच्छी  नहीं

 

है परेशां कह गया उसके नगर का

उसकी आयी  ये ख़बर अच्छी नहीं

 

तू बना लें हम सफ़र अपना सनम

यूं ही तन्हा रह  गुज़र अच्छी नहीं

 

आंख भर प्यार  से तू देखलें

 यूं ख़फ़ा आँखें पर अच्छी नहीं

 

दोस्त बनकर रह सदा आज़म से तू

दुश्मनी  की  यूं  असर  अच्छी  नहीं

 

शायर: आज़म नैय्यर

(सहारनपुर )

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