खुद से खुद को हारो ना | Motivational Kavita in Hindi for Success
खुद से खुद को हारो ना
( Khud se khud ko haro na )
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों
खुद से खुद को हारो ना,
मन से ही सब जीत हार है
मन को अपने मारो ना।
अंधकार को चीर निकल चल
जल्द सवेरा आयेगा
थक कर हार गया गर जीवन
तो क्या मंजिल पायेगा?
अंधकार में चलना सीखो
तुम इसको धिक्कारो ना,
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों
खुद से खुद को हारो ना
बार बार गिर पथ से चींटी
अंत शिखर चढ़ जाती है
नन्हीं पंखो वाली पंछी
गगन चूम कर आती है
हिम्मत को हथियार बना लो
हिम्मत को दुत्कारो ना,
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों?
खुद से खुद को हारो ना।
सारी शक्ति निहित तुम्हीं में
धीर वीर बलशाली हो
बन कर सूरज निशा मिटा दो
चाहे जितना काली हो
खुद ही खुद का भाग्य विधाता
पग पीछे को टारो ना,
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों?
खुद से खुद को हारो ना।
नदियों का जल जब तक बहता
निर्मल पावन रहता है
काला काला उड़ता बादल
ही पानी दे जाता है
चलते रहना ही जीवन है
पथ पर बैठ विचारो ना,
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों?
खुद से खुद को हारो ना।
प्रकृति के परिवर्तन से ही
रंग बिरंगी दुनिया है
अंगुली के चलने फिरने से
ही बजती हरमुनिया है,
चलता समय कभी रुकता क्या?
बैठ गिनो बस तारों ना,
थक कर बैठ गया पथ पर क्यों?
खुद से खुद को हारो ना।
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