Mridul Vani

मृदुल वाणी | Mridul Vani

मृदुल वाणी

( Mridul vani ) 

 

मृदुल वाणी मधुर वचन मन मोह लेते
बोल सदेव मीठी वाणी मन मोह लेते

मोर बोले मृदुल नाचे वन उपवन में
मोरनी का मन भावन वन उपवन में

मोर रंग रूप-स्वरूप सुंदर सुहाना सलोना
मानव प्राणी सुन तान पावन सुहाना सलोना

सुंदर स़ूरत मोहक मूर्त पग काले कलूटे
आंखों में बरबस आंसू टपके काले कलूटे

कोयल रंग काली बोल मिश्री घोल बोले
बना दे मन मतवाला मिश्री घोल बोले

‘कागा’ पपिहा प्रीत चोखी चकोर चांद चाहत
मृदुल वाणी मधुर बोल मन होती राह़त

कवि साहित्यकार: तरूण राय कागा

पूर्व विधायक

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अनुसरण | Anusaran

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