मुहब्बत बस हमारे गांव में | Ghazal
मुहब्बत बस हमारे गांव में
( Muhabbat bas hamare gaon mein )
बारिशों के है इशारे गांव में
देखो टूटे है किनारे गांव में
वरना देखी है नगर में नफ़रतें
है मुहब्बत बस हमारे गांव में
जो किसी भी शहर होते नहीं
वो हसीं देखें नजारे गांव में
देखने को मैं मेला झूला झरने
दोस्त आया हूं तुम्हारे गांव में
पक गयी है बाग़ों में ही अम्बिया
दोस्त सुन कोयल पुकारे गांव में
छोड़ आया हूं नगर की वो गली
वक़्त आज़म अब गुजारे गांव में