मुहब्बत | Muhabbat Shayari Hindi
मुहब्बत
( Muhabbat )
जाति , धर्म , मजहब का
बहाना अच्छा नहीं लगता।
प्यार में गुणा, भाग,जोड़,
घटाना अच्छा नहीं लगता।।
जीत का जज्बा लेकर कितने
हारे मैदान ए मुहब्बत में,
वरना किसी जंग में हार
जाना अच्छा नहीं लगता।।
मुश्किलें हमसफ़र हो जाती हैं
राह ए मुहब्बत में यहाँ,
वरना किसी मुसाफिर को
जोखिम उठाना अच्छा नहीं लगता।।
बचकर जो निकलना चाहते हैं
वो भी फंस जाते हैं,
बिलावजह जो बन जाये
फ़साना अच्छा नहीं लगता।।
जो जहमत उठाते हैं रात
रातभर तारे गिनने का,
जिक्र न हो जिसमें यार का वो
तराना अच्छा नहीं लगता।।
हर बंदिशे खुद ब खुद टूट जाती
हैं विकास बंदगी ए मुहब्बत में,
फिर मुहब्बत के धागे में गांठ
लगाना अच्छा नहीं लगता।।
राधेश विकास (प्रवक्ता),
प्रयागराज ( उत्तर प्रदेश )