?ठण्ड का कहर?
देखो ठण्ड ढा रही है कहर सर्दी की।
चीर रही तन को शीत-लहर सर्दी की।।
कभी ऐसा बेरहम मौसम नहीं देखा।
मार डालेगी ये शामो-सहर सर्दी की।।
ठण्ड से बेहाल है शहर, कस्बे, गांव सब।
बर्फ-बारी पहाङो पर है गदर सर्दी की।।
कोहरे की चादर से ढके जमीं और आसमां।
तरसे धूप सेकने को हरपहर सर्दी की।।
कैसे बचाए जान कोई बेरहम इस मौसम में।
“कुमार” अब तो खुदा करे ख़ैर सर्दी की।।