धरती | Muktak dharti
धरती
( Dharti )
धरा मुस्कुराई गगन मुस्कुराया।
खिल गए चेहरे चमन हरसाया।
बहती बहारों में खुशबू यू आई।
धरती पर चांद उतरकर आया।
धरती अंबर चांद सितारे।
हिल मिलकर रहते सारे।
वीर तिलक करके माटी का।
पूजे माता चरण तुम्हारे।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )