मुश्किल हो गया | Poem mushkil ho gaya
मुश्किल हो गया
( Mushkil ho gaya )
जब तुम मुझसे
मिलना ही नहीं चाहते थे तो
फिर ये बातों का सिलसिला
प्यार-मोहब्बत की बातें
क्यों बढ़ाई…….??
क्यूँ झूठे चक्कर में डाला
तुम अपना इरादा
पहले ही बता देते
क्यूँ तुमने मेरा चैन छीना
क्यूँ मेरे मन को डुलाया?
मैं नादान था जो
तेरी बातों में आ गया…….
क्या तुमने सोच लिया था
कि मुझे दुःख देना है
मुझे तोड़ना है….?
एक बड़ा आघात लगा है
मेरे दिल को तेरी बातों से
मुश्किल हो गया अब
मन को समझाना…….!
तुमने सोच कैसे लिया
मेरे साथ खेलने का
मेरी रूह को दुखाने का
अब मन रोता है……
एक हूक सी उठती है कलेजे में……!!
बोलो चाल थी क्या ये तेरी
तरसाने, तड़पाने और रूलाने की
अगर तुम्हारा ये सोचना था तो
तुम कामयाब हो गए अपनी चाल में
तुम जीत गए, हम हार गए………!!