नाम तेरा | Naam Tera
नाम तेरा
( Naam Tera )
नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा ।
मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।।
जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे ।
रात फिर सारी घूँघट उठाता रहा ।।
क्या हुआ मुश्किलों से जो रोटी मिली ।
प्रेम से तो निवाला खिलाता रहा ।।
बद नज़र है जमाने की सारी नज़र ।
हाथ से उसकी सूरत छुपाता रहा ।
शब न आयी कभी ज़िंदगी में मेरे ।
नूर उसका अँधेरा मिटाता रहा ।।
देख लो आज भी उसका कोमल हृदय ।
मन को मेरे मयूरा बनाता रहा ।।
छेड़ती होंगी सखियाँ ये कहकर उसे ।
नैन कैसे प्रखर कल लडाता रहा ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )