ज़िंदगी बदरंग है
( Zindagi Badrang Hai )
नफ़रतों से प्यार की अब जंग है
हर ख़ुशी से ज़िंदगी बदरंग है
अंजुमन में कुछ हुआ ऐसा यहाँ
देखके ही रह गया दिल दंग है
ख़ाक कर दे दुश्मनों को ए ख़ुदा
कर रहा जो मुफलिसों को तंग है
अंजुमन में कर रहा वो फ़ासिला
दो घड़ी बैठा नहीं वो संग है
दुश्मनी के मार पत्थर वो गया
कब लगाया प्यार का जो रंग है
तल्ख़ लहज़े से भरी उसकी ज़ुबाँ
प्यार का लब पे नहीं आहंग है
कर गयी है फ़ासिला जब से ख़ुशी
ज़िंदगी का चैन आज़म भंग है