नाज की शायरी | Naaz Shayari
सबकुछ
मैने कुछ गमों को छुपा रखा है
मेरे हाल ने सबकुछ बता रखा है
कहने को कुछ उदासियां है मेरे अन्दर
सब कुछ मैने हसी में डाल रखा है
मेरे अल्फाज कुछ दर्द भरे हैं
मेरे दिल मे तूफान आ रखा है
मेरे कदमों में जान नहीं बची है
मैने कदमों को मुश्किल राह में डाल रखा है
मेरी उदासियो का कोई गवाह तो नही
मगर मैने अपने नाम पर दिल ए जख्म डाल रखा
मंजिल
सफर ए मंजिल का क्या बताऊं
कुछ मंजिल हमारी अधूरी सी है
हम ठहरे मुसाफिर ए जमाना
लोग कहा इज्जत देते है हमे
कुछ खास कहा देख पाए लोग हम मै
हम तो अब सबको दुआ देते है
दुश्मनी रखकर क्या फायदा होगा हमे
यहां तो एक बार देख कर दुश्मनी रखते हैं
हम ठहरे सूफी मिजाज वाले लोग
हम कहा दिल ए नादान मैं बुराई रखते हैं
जो मुकम्मल
जो मुकम्मल ना हुआ़ वो ख्वाब हो तुम
जो सारा था मेरा था मेरा नही वो जहान हो तुम
लिखें जो खत मैंने तेरे नाम प्यार से
वो सारे जला डाले खत तेरे नाम पे
कुछ तो याद होगा मेरे नाम पर
वक्त गुजर गया जो तेरी याद मैं मेरा
वो सारी यादें जला डाली तेरे वास्ते
कुछ तो याद ही नहीं अब मुझे तेरे नाम पर
कह दे जो कहना है मेरे नाम पर
मैं वादे निभाना खूब जानती हूं
जो निभाता मुझे मेरे ख्वाब मैं
मैं बताती तू क्या है मेरे ख्वाब मैं
मिटा दे
मुझे तू चाहे तो मिटा दे
मुझे गम नही तू चाहे तो सजा दे
अदब मेरी तहजीब है ए बेखबर
मुझे सारी दुनिया चाहे तो भुला दे
मेरी नजर नहीं उसकी नजर का कमाल है
मैं झूठा नही मेरे दिल का तू करार है
मुझे खास का मुकाम न दे
मगर मुझे आम भी तो न कर
मैं शान शोकत की तलब नही करती
मेरी आरजू है मगर मैं हसद नही करती
बदले लोग
कुछ समय बदला कुछ लोग
हम जो बदले और बदले लोग
घायल थे हम जब नमक थे लोग
हम सादा मिजाज मोहब्बत वाले
उनको देखा कुछ और थे लोग
वक्त जब बदला हमारा
उनके नजरिए थे कुछ और
जब हम गिरफ्तार थे मुश्किलो में
बडे खुश मिजाज थे लोग
नजर से उतार कर फेंका लोगो ने
हमारे जज़्बात थे कुछ और
मुझे गम नही उनके बदलने का
गम है चेहरे पर नकाब रखते थे लोग
कुछ समय बदला कुछ कुछ लोग
मोहब्बत
मुझे दर्द ए मोहब्बत का इलाज करदो
मैं बीमार हू मुझे खुद से आजाद कर दो
किस तरह बताऊं में दर्द मैं हूं
जिसको बताऊं कहता है में मोहब्बत में हूं
लिखने के लिए अल्फाज नही मेरे पास
जो कहूं आदत हो मेरी तुम
किस तरह कहूं मोहब्बत हों मेरी तुम
खुद को जो में बर्बाद करलू
किस तरह कहूं जिंदगी हो मेरी तुम
मुझे बदलना नही आता औरों की तरह
में बदल जाऊ तो यकीन कर इस
जहा में नही हू मैं
खुदा का वास्ता
एक कफन एक कब्र छोटा सा रास्ता ।
मोत आ जाए मोत को खुदा का वास्ता ।।
जो सांस लेती हू क्यू दम निकलता नही।
मै जिंदा रहती हू मगर दर्द सम्भंलता नही।।
किस खुशी किस वजह पर जीना चाहूं मै।
मेरे मरने की वजह ज्यादा जीने की कुछ नही।।
अल्फाज ए यार मौसम बन गए।
जब चाहा भिगोदिया कभी हम तरस गए।।
खिला हुआ चेहरा मेरा कुछ मुरझा गया ।
साथ चलने का वादा उनका कोई बदलवा गया।।
मेरी खामोशी तक मंजूर नही जिसे।
आज वो मुझसे बिना कुछ कहे चला गया।।
चल हमने हसरत तेरी छोडी ही थी।
जैसी आंखे बंद की वो नजर के सामने आ गया।।
मुझे यू सता कर न हसाया कर।
मै इंसान हू मुझे मत रुलाया कर।।
तू जिसे अपना समझे उसके पास जाया कर।
उसको अपना दर्द बताया कर।।
मेरी खता ये थी तुम्हे चाहा ना ओरो की तरह।
वरना तुम भी हमारे दीवाने होते ओरो की तरह।।
तस्वीर फाड दे
मुझको जो तू नजर से उतार दे।
मै क्या कहू जो मेरी तस्वीर फाड़ दे।।
ये कलम ये अल्फाज तेरे लिए है।।
मै कुछ नही हू तू खास मेरे लिए है।।
मुझे जख्मी दिल न पसंद है ।
ये सुबह-शाम तेरे लिए है।।
मुझे रोने का शोक तो नही।
मेरी आंख का हर कतरा तेरे लिए है।।
मुझे जो तू नवाजे खुद से।
मेरा जान ओ जिगर तेरे लिए है।।
मै गुलाम नही जमाने का ।
मेरी गुलामी तेरे लिए है।।
मै जो आज नम आंख हू।
ये सारी निशानी तेरे लिए है।।
हुस्न ए अख्लाक
जिसमे अख्लाक ए हुस्न न हो।
वो खाली जमीर होता है।।
जीता है जिसमे अख्लाक ए नूर होता है।
मै तो कलम कार हू मै अदाकार हू।।
मुझसे कहा किसी का जहूर होता है।
लिखने की तासीर जो बख्शी इस गुलाम को।।
इस हुस्न ए तासीर से कौन बदनाम होता है।
हम लिखते कहा कुछ कलम में नूर होता है।।
मुझे कहने वाले हजार ताने देते है ।
कहते है इस पागल कहां कोई होता है।।
हम अदाकारा है कलमकार है।
हम सच लिखदे बदनाम हमारा नाम होता है।।
कुछ कुछ बोलकर हम चुप है।
कहां किसी के साथ हमारा नाम होता है।।
हम तन्हाईयो के साथी है गुम राह नही।
लिखने वाले से कहदो के सच लिखे ।।
हम इंसान है फरिश्ता नही ।
हम झूठे मक्कार है अदाकार है।।
हम सच कहे तो हम गुनाहगार है।
कहते है लोग हम कलमकार है अदाकार है।।
बेसहारा हू मैं
सहारा क्या ढूँढु मैं
पहले से बेसहारा हू मैं
इश्क के नाम पर लूटा मुझे
ढूबा हुआ किनारा हू मैं
जिसकी हसरत रख कर दुआ की उसकी
उस शख्स को लगी बद्दुआ हू मै
न लिख पाउंगा नाम उसका मैं
किस तरह बताऊ कहा हू मैं
ख्वाहिशो का समंदर था मैं
आज सूखा हुआ समंदर हू मैं
उसको चाहने वाले हजार मिले
मुझ जैसा चाहे अब उसको कहा मिले
नम आंखो को मै कैसे सुखाऊ
नम आंखो की वजह किसे बताऊ
जिसको बताया उसने वफादार कहा
आइने में देखा उसने गद्दार कहा
मुझे कमाल की ख्वाहिश ने घेरा है
मैने कहा रोशनी उसने दिखाया अंधेरा है
वो कागजी बाते
वो प्यारी सी यादे
वो कागजी बाते
वो लम्हे प्यार के
वो दिखावटी बाते
तनहाईया भरी राते
वो तुम्हारे झूठे वादे
देख मुझे सब याद है
मुझे तिल तिल मारने की बाते
वो तेरी झूठी बाते
वो तडपाने की बाते
वो झूठी कसमे वो वादे
वो नादानी की बाते
तेरी परवाह तेरी यादे
तेरी बाते मेरी नम आंखे
तेरा सुकून मेरी बेसुकून राते
जब जब खुले आंख वो तेरी झूठी बाते
नाज़ अंसारी
बदांयू ( उत्तर प्रदेश )
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