नफरत भरी है जमाने में
नफरत भरी है जमाने में
नफरत भरी है जमाने में
दर्द भरा है दिवाने में
वह मजा नए में अब कहां
जो मजा होता था पुराने में।।
पैसा है तो अब प्यार है
मोहब्बत भी एक व्यापार है
इंतजार कौन करता है
जब बेवफा सरकार है।।
दौर कहां अब पुराना है
देवदास जैसा कोई दीवाना है
अब तो पैसे से दिल्लगी होती
प्यार तो एक बहाना है।।
भरोसा कहां अब दीवाने मे
जहर दे देते हैं लोग खाने में
दूर होते हैं जब कभी
देर नहीं लगती भूल जाने में ।।