यह नक चढ़ी नाक

( Ya nak chadhi nak ) 

 

यह नक चढ़ी नाक गजब ढा गई।
तेवर तीखे वह हमको दिखा गई।
अंदाज मस्ताने नैना चले तीर से।
आहट से लगा कि आंधी आ गई।

यह नक चढ़ी नाक नखरो वाली।
बड़े चाव से मुसीबत हमने पाली।
मोरनी सी चाल घुंघरू पायल के।
नाक की नथली लगती मतवाली।

यह नक चढ़ी नाक रुतबा देती है।
बड़े बड़ों को जमी पर ला देती है।
नाक नैन नक्श जादू सा कर जाते।
मोहिनी मूरत खुशियां ही देती है।

 

कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

छोटी सी बात | Chhoti si Baat

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here