नहीं पचा पाओगे | Nahi Pacha Paoge
नहीं पचा पाओगे
( Nahi pacha paoge )
हम क्या
तार्किक या नास्तिक बुद्धि वाले
या तुम्हारे पोंगापंथ की
बखिया उधेड़ने वाले
आतंकवादी लगते हैं तुम्हें
नक्सलवादी या आईएसआईएस के उन्मादी ?
ये तुम्हारा धर्म
ये तुम्हारा मजहब
ये तुम्हारा पंथ
या ये तुम्हारे ईश्वर, पैगम्बर या गॉड
या ये तुम्हारे मानवीय काले दिल वाले भगवानो ने
क्या दिया है हम इंसानों को
किसी न किसी जहर के सिवा ?
सत्य, अहिंसा, दया, धर्म,
पाप- पुण्य, भाग्य- भगवान, नर्क- स्वर्ग
या पिछले जन्म के कर्मों- कुकर्मों के भंवरजाल के
पेचों के सिवा ?
बल्कि हम
तार्किक या नास्तिक बुद्धि वाले वैज्ञानिकों ने
बहुत कुछ दिया है
इंसानी जमात को–
ऐशोआराम की चीज़ें, नये- नये संसाधन
संचार और आभासी दुनियां का
एक स्वर्णिम संसार.
जहां तुम
ईश्वर से सीधे बात करने वाले
हवा में उड़ने वाले; लोगों को स्वर्ग दिलाने वाले;
इस दुःखियावी दुनियां से मोक्ष कराने वाले
हेलीकाप्टर, माइक्रोफोन, से लेकर मोबाइल
और संचार के समस्त संसाधनों का
सुखभोग कर रहे हो.
ऐ आस्तिकों
लोगों को मूर्ख और भंवरजाल में फंसाने वालों
इस खुशनुमा दुनियां को नर्क बताने वालों
राजसी दर्प- सी जिन्दगी जीने वालों
तुम्हारी दबंगई और
झूठ का महल ढह रहा है
इस भारतीय लोकतन्त्र के
भारतीय संविधान के तहत
हमें
खूब पता है
तुम चाहते हो
मनुस्मृति वाले युग को वापस लाना
या मध्ययुग की व्यवस्था बनाना
या हिटलर या नादिरशाह का रूप दिखाना
या शोषणविहीनता के नाम पर
बौद्धिकों को ठिकाने लगाना.
तुम
न बुद्ध हो
न मार्क्स हो
न अम्बेडकर हो
तुम अब्दुल कलाम भी नहीं हो.
हम
तार्किक या नास्तिक
न हिन्दू आतंकवादी हैं , न मुस्लिम
न माओवादी हैं, न अतिवादी
कि तुम
हमें मिटाने पर तुले हो कश्मीरी पंडितों की तरह
या सूफी संतों की तरह
या कुर्दों की तरह
या तमिलों की तरह
या रोहिंग्या मुसलमानों की तरह.
तुम
मार रहे हो, मारो
दाभोलकर को, पनसारे को,
कलबुर्गी को या फिर गौरी लंकेश को
पर तुम नहीं मार सकते हो विचारों को
जो नेक इंसानों के निमित्त है.
मुझे पता है
तुम नहीं पचा पाते हो
राहुल सांकृत्यायन को
भगवत शरण उपाध्याय को
पेरियार या फुले- कबीर को
सलमान रूश्दी या तस्लीमा नसरीन को.
तुम तो अम्बेडकर को भी नहीं पचा पाते हो
इसीलिए तो तोड़ते हो आए दिन मूर्तियां उनकी.
और तुम
मुझे भी नहीं पचा पाओगे मित्र
मुझे भी.
डॉ.के.एल. सोनकर ‘सौमित्र’
चन्दवक ,जौनपुर ( उत्तर प्रदेश )