नैनो में सावन | कुण्ड़लिया छन्द
नैनो में सावन
( Naino mein sawan )
नैनो में सावन लिए , करती हूँ मनुहार ।
ऐसे मत छेड़ो पिया , लगती जिया कटार ।।
लगती जिया कटार , बूँद सावन की सारी ।
आ जाओ इस बार , विरह की मैं हूँ मारी ।।
भीगूँ तेरे संग , यही कहता मनभावन ।
नही चाहिए आज , मुझे नैनो में सावन ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )