Najuk rishtey

नाजुक रिश्ते | Najuk rishtey

नाजुक रिश्ते

( Najuk rishtey )

 

क्या कभी आप सभी ने देखा है, या महसूस किया है,कभी समझने की कोशिश की है, कि जब एक बहुत ही नाजुक व नन्हे पौधे को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जाता है, जड़ से उखाड़ कर उसे दूसरी माटी में बोया जाता है, एक वातावरण से वह नन्हा सा पौधा दूसरे  नये वातावरण में जाता है ।

वह खुलने मिलने की कोशिश करता है ‌। आप समझ सकते हैं उसको कितना वक्त लगता है उस माटी में   जमने में,उस आबोहवा में मिलने में, जब अपने स्थान से जड़ सहित उखाड़ कर दूसरे माटी में उसे बोया जाता है।

उसे बहुत तकलीफ होती है वह धीरे-धीरे मुरझाने लगता है, तभी हम उससे रोज जल से सींचते हैं, खाद डालते हैं, प्यार से सहलाते हैं, सूरज की रोशनी उस पर पड़े हम उससे उस स्थान पर लगाते हैं, उस पौधे की हम बहुत देखभाल करते हैं।

जब तक कि वह अपने आप खड़ा न हो जाए जिस दिन वह हवाओं में झूमकर लहराने लगता  है और डगमगाता नहीं है तब हमें लगता है कि अब यह इस माटी में जम चुका है, और उसने  अपनी जगह बना ली है, वह मिट्टी के साथ अब खुश है वहां के वातावरण में बहुत खुश है ।

तब हम उसकी देखभाल करना कम कर देते हैं, उस पौधे को देख कर हमें बहुत अच्छा लगता है, कि अब यह आत्मनिर्भर हो चुका है, जो हम पर  पूर्ण रूप से निर्भर था, उसने वहां के वातावरण को स्वीकार कर लिया है, उस पौधे  को वहां के वातावरण को समझने में कई दिन लग जाते हैं, कई महीने लग जाते हैं, अपने पैरों पर पूर्ण रूप से खड़े होने के लिए।

ठीक उसी प्रकार जब हम बाबुल के आंगन से एक जड़ समेत बिटिया रूपी पौधा लाते हैं और उसे अपने आंगन में सजाते हैं तो वह भी उसी प्रकार उस वातावरण में ढलने में उतना ही वक्त लगाती है, जितना कि एक नन्हा पौधा, जिस प्रकार से हम एक नन्हे पौधे की देखभाल करते हैं जब तक कि वह अपने पैरों पर निर्भीक होकर खड़ा न हो जाए, तब तक हम उस पौधे की देखभाल करते हैं, ठीक उसी प्रकार हमें, जो बाबुल के आंगन का फूल है, जिसे जड़ समेत हम अपने आंगन में सजाने के लिए लाए हैं ।

उसकी भी देखभाल  ठीक उसी प्रकार से होनी चाहिए। जब हम उसे अच्छी तरह से समझेंगे और उसे, उसके अनुकूल वातावरण प्रदान करेंगे ताकि वह प्रत्येक सदस्य को समझने में समर्थ हो।

जब हम उसे समझेंगे तभी तो वह हमें समझेगी जब हम उस बिटिया को मौका देंगे समझने के लिए, आंगन देंगे खिलने के लिए, तभी तो वह एक सुखद परिवार की निव का आरंभ होगा।

उसे,  हमें यानी परिवार को समझने के लिए वक्त देंगे, जो अपने हरे-भरे परिवार को छोड़कर नये परिवार में सम्मिलित होती है, और उसे यह विश्वास दिलाएंगे कि यह  तुम्हारा घर है आंगन है जिस आंगन से और घर से तुम आई हो यह बिल्कुल वैसा ही है।

समझने के लिए व समझने के लिए वह पहचानने के लिए समय देंगे,  और तुम इस परिवार का एक नया सदस्य हो एक-एक सदस्य से परिचित कराएंगे, और सब घर के सदस्य उस नए मेहमान का स्वागत करेंगे देखभाल करेंगे, जिस प्रकार हम एक नया पौधे का करतें हैं।

जिसे हम अपने सदस्य की तरह ही मानते हैं, और देखभाल करते हैं, जो एक नया पौधा हमारे जीवन रूपी आंगन में आया है उसकी देखभाल हम सबको मिलकर करनी होगी।

एक जो पौधा होता है वह तुरंत फल नहीं देता है उसकी देखभाल हमें करनी होगी यदि हम अपने बहू को जो फूल के समान होती है उसे कुछ वक्त देंगे अपने पैरों पर खड़े होने के लिए जिम्मेदारी संभालने के लिए सब को समझने के लिए तो वह एक मजबूत पेड़ के समान साबित होगी और उसकी छांव में सब मुस्कुराएंगे।

यदि हम उस पेड़ की देखभाल नहीं करेंगे, हो सकता है वह पौधे की तरह मुरझा जाए। उस पौधे की देखभाल नहीं करेंगे तो वह जल्दी से मुरझा जायेगा हो सकता है वह पौधा मर जाए, ठीक उसी प्रकार हमें बाबुल के आंगन की बिटिया को अपने आंगन में खिलने के लिए जगह देनी चाहिए, ताकि वह भी हमें समझ सके खुशहाली का वातावरण बना सके, आप उससे काफी उम्मीद करते हो, यदि आप उससे उम्मीद करते हो तो आप उसे उस तरीके से खिलने के लिए ।

जगह दो बस यही तो फर्क है एक बेजुबान पौधे को आप इतना चिंतित होते हो, सोचते हो, खाद देते हो, ख्याल रखते हो, कि पौधे पर सूरज की रोशनी आनी चाहिए।

उसके देखभाल करते हो ताकि वह आपके आने वाले समय पर फल और फूल दे, तो क्यों ना हम एक बेटी जो बहू बनकर आपके आंगन में आई है उसे भी खिलने का मौका दें।

यदि आप उसे खिलने का मौका देंगे तो आपके घर में हमेशा खुशहाली ही खुशहाली होगी चारों तरफ फूल ही फूल खिलेंगे एक छोटी सी बात यदि आप पौधे की देखभाल कर सकते हैं तो बहू की क्यों नहीं। धन्यवाद ।

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लेखिका :-गीता पति ( प्रिया) उत्तराखंड

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