Azadi par kavita
Azadi par kavita

यूँ आजादी नहीं मिली है !

( Yun azadi nahi mili hai ) 

 

जिसने भी दिलायी आजादी,
उन वीरों को सलाम है।
जिसने खाई सीने पे गोली,
उसको भी सलाम है।

 

यूँ आजादी नहीं मिली है,
नदियों खून बहाया है।
कितने घर के चराग बुझे,
तब शुभ दिन ये आया है।

 

उस हवन-कुण्ड में कितनों ने,
अपना भाल चढ़ाया होगा।
झूमें कितने फाँसी के फंदे,
कितना मस्तक बोया होगा।

 

चुपके -चुपके रोयी होगी,
जिनका सिंदूर मिटा होगा।
इंक़लाब के नारों से,
यूनियन जैक हटा होगा।

 

आजादी के परवानों की ,
आओ मिलकर जय बोलें।
आज की सत्ता में जो बैठे,
आओ उनको भी तौलें।

 

लूटपाट की होड़ मची है,
भारतमाता घायल है।
जिसने सींचा इसे लहू से,
हम तो उसके कायल हैं।

 

किस मिट्टी के बने हुए थे,
दे दी अपनी कुर्बानी।
मीठी करवट बदल न पाए,
वो भारत के सेनानी।

 

बलिदानों की बुनियादों पर,
भारतवर्ष हमारा है।
सुन लो पूरी दुनियावालों,
ये देश जान से प्यारा है।

 

राजगुरु सुखदेव,भगत सिंह,
यही हमारी थाती हैं।
सच मानिये देशवासियों,
ये हीरो दीया-बाती हैं।

 

चमक रहा है देश हमारा,
उनकी उस कुर्बानी से।
और मिटे जो देश की खातिर,
उनकी उस जवानी से।

 

सत्ताधीशों के अधरों पे,
लालच न आने पाए।
हाथ खून से सना है जिनका,
तिरंगा न छूने पाए।

 

रामकेश एम यादव (कवि, साहित्यकार)
( मुंबई )
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