ना नशा करो ना करने दो | Nasha par kavita
ना नशा करो ना करने दो
( Na nasha karo na karne do )
नशा करो ना करने दो समझा दो सबको प्यार से
क्यों मौत को गले लगाते क्यों खेल रहे अंगार से
जूझ रहे जो पड़े मौत से हाल जरा जाकर देखो
टीबी कैंसर का कारण है गुटखा जर्दा सब फेंको
आज नहीं तज पाए तो कल बहुत पछताओगे
धन दौलत विनाश होगा चैन से जी नहीं पाओगे
बोतल फोड़ो बीड़ी फेंको सिगरेट सारी तोड़ दो
ना नशा करो ना करने दो नशा करना छोड़ दो
ना कोई सुध बुध रहती है नशे का छाये खूमार
चाहे बच्चे भूखो मरे या बीवी पड़ जाए बीमार
मां बाप की सेवा कहां नशे में डूब रहे संस्कार
धन का नाश बच्चे बिगड़े बर्बाद हो रहे परिवार
गर्त की इन राहों को सच कहता हूं छोड़ दो
चेतना की जोत जला रूख हवा का मोड़ दो
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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