nata

नाता

( Nata ) 

 

पीना नहीं है, जीना है जिंदगी
अनमोल है, खिलौना नहीं है जिंदगी
उम्र तो वश में नहीं है आपकी
अनुभवों से ही सीना है जिंदगी

आए और आकर चले गए तो
आने का मकसद ही क्या रहा
हम मिले और मिलकर ही रह गए तो
इस मुलाकात का वजूद ही क्या रहा

हर पल, एक नए इतिहास का सोपान है
आपके भीतर ही बसाआसमान है
ऊंचाई को इसी छू लेना है तुम्हें
तुम्हारे भीतर ही छुपा जहान है

शरीर के अपंगता तो व्यक्तिगत है
सोच के अपंगता नहीं हो तुम्हें
साक्षात ईश्वर है आपके भीतर
न समझने की भूल नहीं हो तुम्हें

कहता है कौन क्या, कहना उनका है
करना है उद्देश्य पूरा , हक आपका है
जाने के बाद का ही जीवन अमर हो पता है
भले आज कुछ नहीं हो ,कल से ही नाता है

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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