विज्ञान का हमको अनुपम उपहार मिला है जिसके गहन अध्ययन और ठोस चिंतन ने प्रगति के अभिनव द्वार खोले है । हम सभी यह जानते हैं कि work place पर मेहनत और हुनर सबसे ज्यादा काम आता है लेकिन बिना आत्मविश्वास और प्रसन्नता के न तो काम में संतुष्टि मिलती है और न ही किया गया काम सफल हो पाता हैं।

और इधर देखे तो हमारा मन भी बड़ा चंचल है, वह हमेशा चलायमान ही रहता है जैसे धड़ी का पेण्डुलम की तरह ही डोलता रहता है, क्योंकि ज़रूरी नही की काम का बोझ ही इंसान को थका दे बल्कि कुछ ख़्यालों का बोझ भी थका देता है।

हम जब तक मन से स्वीकार नहीं करते ,जबरदस्ती से काम सफल नहीं होगा । इंसान की उत्पत्ति ही अपने आप में एक सबसे बड़ा अजुबा है। भगवान ने इंसान की बड़ी अद्भुत रचना बनायी है।

शरीर एक, पर उसके हर अंग का क़ार्य अलग अलग।इंसान का दिमाग़ इतना शक्तिसाली होता है जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। आज जो क़ार्य कम्प्यूटर कर रहा है उसकी देन भी एक इंसान ही है और इस तरह ना जाने कितने-कितने अविश्वसनीय अविष्कार भी इंसान की ही देन है।

आज वैज्ञानिक युग है।सब चीज़ों का अकल्पित विकास हो रहा हैं।क्या हृदय का,क्या दिमाग़ का,क्या बुद्धि का,और क्या सुख सुविधाओं आदि का और इन्हें प्राप्त करना समाज के विकास का मान दंड बन गया है । विज्ञान की क्रांति ने पूरे परिवेश को बदल दिया हैं।

विज्ञान के आविष्कार आज मशीन बना रहे है।साधनों और सुविधाओं में दिल का सुकून दे रहे है। मानवीय भावनाओ ने नया मोड़ लिया है । विज्ञान के सहारे इंसान जीता जागता रोबोट बना सकता हैं। विज्ञान के सहारे इंसान ने दिमाग़ का द्वार खोल दिया है।

हम ज़रा इस बात पर ग़ौर करे कि विज्ञान की अदभुत देन से इन्सान चाँद तक पहुँच गया है ।असम्भव काम को सम्भव बना दिया हैं । चिंतन-मनन-अध्ययन से भाग्य सवाया हो जाएगा और हमेशा हमारे जीवन का प्रवाहमान संवाद होगा ।

विज्ञान की तरक्की के कारण आजकल कितने कारखाने खुल गए हैं जिसकी हमे कभी कल्पना भी नहीं थी । इस तरह विज्ञान की अदभुत देन से हमने असम्भव काम को सम्भव बनते हुए देखा है।

प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)

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