नवरात्री के नौ दिवस | Navratri ke Nau Divas
नवरात्रि के नौ दिवस
( Navratri ke nau divas )
नव दुर्गा नव रात्रे में माँ, तू नौ रूप में है दिखती।
जन-जन की आस्था का बन केंद्र, सबके उर में है सजती।।
नव रात्री के नौ दिवस माता, हम चरणों में माथ नवाते।
रात रात भर कर जगराते, उर में भक्ति भाव उपजाते।।
द्वितीय दिवस का रूप सलोना, ब्रह्मचारिणी खड्गासन।
हाथ कमंडल और है माला, लावण्य भरपूर आनन।।
चंदा जैसी चमक चाँदनी, का है मुख पर नूर तेरे।
खिल उठते तेरे दर्शन कर, भक्तों के मलीन चेहरे।।
गदा-शंख-अस्त्र-शस्त्र-तलवार-चक्र, माता तू है धारे।
दुष्ट-अधम-पापियों का जग के, संहार करे तू मारे।।
दिखा करे दरबार में तेरे, भीड़ अकेला आठों याम।
टूटे न ताँता भक्तों का, करते जयकार सुबह-ओ-शाम।।
कवि : आनंद जैन “अकेला”, कटनी
राष्ट्रीय महामंत्री
समरस साहित्य सृजन भारत
अहमदाबाद
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