नया साल : नयी आशाएं
नया साल : नयी आशाएं
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बीता यह वर्ष रे
आया नववर्ष रे!
झूमो ओ काका
झूमो रे काकी
रात अंतिम यह बाकी?
नाचो ए बबलू
नाचो ए बबली
गाओ ना भैया
गाओ ना भाभी
बजाओ सब ताली
सजाओ जी थाली?
छोड़ो पटाखा
करो धूम धड़ाका
थिरकना जरा सा
डिस्को जरा सा!
है रात मतवाली
करो ना मनमानी
बच्चों को टोको ना
बड़ों को रोको ना
तू भी उत्सव में शामिल हो जाओ ना!
बीस बीत रहा है..
इक्कीस चुपके से आ रहा है!
इसी से बंधी है आस
बीस ने किया है निराश।
कोरोना लाॅकडाउन ने सताया
स्कूल कालेज सब बंद कराया
पढ़ाई लिखाई कमाई हुई सब चौपट
गई नौकरी, गहराया रोजगार का संकट!
हुईं कितनी समस्याएं,
क्या क्या तुम्हें हम बताएं?
चोट पड़ी भारी,
धरी रह गई सारी तैयारी।
आशा है इक्कीस से,
बीतेगा यह ठीक से!
इसी उम्मीद में नाचे गाएं,
खुशियां मना गम को भुलाएं।
यही तो जीवन है-
चलते रहना बढ़ते रहना
सुख दुःख में एक सा रहना
पीछे मुड़कर नहीं देखना
सुनहरे कल के सपने आंखों में लिए-
आगे बढ़ते रहना।
?
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।
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