Nayan ki Ghazal
Nayan ki Ghazal

ग़ज़ल

( Ghazal ) 

 

( काफ़िया ईर की बंदिश रदीफ़ ग़ज़लों में )

 

मुहब्बत की कभी रूठी रही तक़दीर गज़लों में
किसी को मिल गई है ख़्वाब की ताबीर ग़ज़लों में।

वही उम्दा सुखन है हो जहां पर शायरी गहरी
बहर अर्कान पैमाना कि हो तहरीर ग़ज़लों में।

लुटी जिसकी मुहब्बत पा रहा तस्कीन इसमें ही
जिसे है वस्ल की ख़्वाहिश मिली तदबीर ग़ज़लों में।

फ़कत इक इश्क़ का मौज़ू नहीं जागीर है इसकी
सियासत और मज़हब पर बहुत तक़रीर गज़लों में।

हुआ यह वाकया जब भी लिखी कोई ग़ज़ल हमने
नजर आई सभी को आपकी तस्वीर ग़ज़लों में।

बड़ी ताक़त क़लम में है हिलाती ताज़ तख़्तों को
छिपी तीखी कटारी और इक शमशीर ग़ज़लों में।

नयन मद्दा ग़ज़ल की उंसियत उसको गज़ल से है
लिखा जो दर्द दिल का दिख रही तासीर ग़ज़लों में।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

 

ख्व़ाब की ताबीर -स्वप्न सच होना
तक़रीर -वक्तव्य भाषण
तहरीर -लिखावट
वस्ल -मिलन
तदबीर-युक्ति योजना
तासीर -असर प्रभाव
मौज़ू -टापिक विषय
मद्दा-प्रशंसक
उंसियत -लगाव
शमशीर -तलवार

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